श्री आनंद कुमार तिवारी को राष्ट्रपति पुलिस पदक


रायपुर । पुलिस महानिरीक्षक श्री आनंद कुमार तिवारी को विशिष्ट सेवा के लिए उनकी विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है । यह पदक उन्हें 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल महामहिम श्री नरसिंम्हन के करकमलों से प्रदान किया गया ।


श्री तिवारी 1979 राज्य पुलिस सेवा में नियुक्त हुए । उन्हें उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए 1987 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) एवार्ड दिया गया । उन्होंने अपने सेवा काल में नारायणपुर जैसे नक्सलवाद से ग्रसित जिले में पदस्थापना के दरमियान नक्सलियों के केशकाल दलम् के विरूद्ध मुठभेड़ में अनेक नक्सलियों को मार गिराने और हथियार बरामद कर योग्य और सक्षम पुलिस अधिकारी का परिचय दिया था । उन्होंने विभिन्न पदों पर नियुक्ति के दौरान अंत्यंत जटिल आपराधिक प्रकरणों को निराकरण किया है । वे राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (एंटी करप्शन ब्यूरो) में अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक के पदों पर कार्य करते हुए अनुपातहीन संपत्ति एवं भ्रष्ट्राचार निवारण के लिए कठिन और जटिल प्रकरणों का समाधान कर चुके हैं । इससे पहले पुलिस मुख्यालय में योजना प्रबंध शाखा एवं सचिव गृह विभाग के पद पर कार्य करते हुए पुलिस के आधुनिकीकरण को एक नई दिशा दे चुके हैं । वर्तमान में वे पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) मुख्यालय के पद पर पदस्थ हैं । उन्हें उन्हें वर्ष 1997 में भारतीय पुलिस पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है । इस बार उन्हें संपूर्ण सेवाकाल में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति विशिष्ट सेवा पदक से विभूषित किया गया है ।

छत्तीसगढ़ में सुरक्षा की नई मुहिम - कमांडो की उपस्थिति

कमांडो वाला पहला राज्य बना छत्तीसगढ़

हमारा देश हमेशा से विविधता में एकता और शांति के सिद्धांतों को मानता आया है । वसुधैव कुटुम्बकम् हमारे संस्कारों, साँसों, रगों में बहुत अंदर तक बैठा हुआ है । परन्तु आज़ादी के बाद से ही देश के कुछ हिस्सों में आंतक का सहारा लाया जाता रहा है । हम ख़ुद इस प्रदेश में नक्सलवाद के घिनौने स्वरूप से रोज़ टकरा रहे हैं - नक्सलवाद से लोहा लेने के लिये, नक्सली आंतक को ध्वस्त करने के लिए । हमने CTJW COLLEGE का कांकेर में गठन किया है जहाँ हमारे जवान जंगल वारफ़ेयर मे निपुणता हासिल कर रहे हैं । हमने स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) का गठन किया है जो नक्सली अभियानों में अग्रिम दस्ते के रूप में काम करेगी ।

पिछले कई सालों से देश के बाहर बसी ताक़तों ने हमारे देश में आंतक का घृणित नज़ारा पेश करने की भी शुरूआत की है जिससे निपटने के लिए विशेष तैयारियों की ज़रूरत है । आज जब हमारा देश, विश्व की महाशक्तियों तथा अन्य विकसित देशों के साथ अग्रणी पंक्ति में बैठने को अग्रसर है वहीं हमारे पास-पड़ौस के देशों से प्रायोजित या संचालित आतंकवाद हमारे शहरों में पाँव पसार रहा है । मुंबई में हाल में हुआ आंतकी और खूनी होली ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है ।

मुंबई की घटना के तुरंत बाद ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री मा। रमनसिंह ने मन बनाया कि छत्तीसगढ़ पुलिस में भी एनएसजी के तर्ज़ पर प्रशिक्षित कमांडो फ़ोर्स होनी चाहिये । छत्तीसगढ़ पुलिस ने मुख्यमंत्री की चाहत के अनुरूप सीएएफ की तीसरी बटालियन को कमांडो बटालियन में संबर्धित करने का निश्चय किया । ऐसा इसलिए किया गया कि एक बिलकुल नई बटालियन को खड़ा करने, प्रशिक्षित करने में समय लगता ।

कमांडो की बुनियादी प्रशिक्षण भी हम यहीं देगें । एडवांस ट्रेनिंग हम एनएसजी, स्पेशल फ़ोर्स, बीएसएफ, आईटीबीएफ़ आदि के साथ करायेंगे । इस बुनियादी प्रशिक्षण मे भाग लेने वाला पहला समूह अमलेश्वर, दूर्ग में आपके सामने है, जिसकी ट्रेनिंग आज 10 जनवरी, 2009 को महामहिम के करकमलों से उद्-घाटन के साथ ही शुरू हो जायेगी । 90 दिन के प्रशिक्षण के बाद कमांडों और 40 दिन का पाठ्यक्रम CTJW (जगंलवार कॉलेज), कांकेर मे कराया जायेगा । हम एक साल में 600-700 कमांडो तैयार करने में पूर्ण सक्षम है ।

एक कमांडो की विशेषता क्या है ? शारीरिक दृष्टि से वह क़रीब-क़रीब सुपर मैन होता है । उसमें शारीरिक तथा मानसिक लचीलापन उच्च कोटि का होता है । वह गंभीर तनाव और स्टैस पर भी मानसिक तथा शारीरिक संतुलन नहीं खोता है । वह precision और घातक फ़ायरिंग कर सकता है । उसमें अपनी क्षमता के बारे मे उच्च कोटि का आत्मविश्वास होता है । हमारे पास कुछ ट्रेनर हैं जो इस तरह का प्रशिक्षण दे सकते हैं । कुछ और प्रशिक्षकों को हम एनएसजी, आटीबीपी, बीसीएफ़, स्पेशल फ़ोर्स में भेज कर प्रशिक्षित और दक्ष करायेंगे । इस कमांडो फ़ोर्स के गठन और प्रशिक्षण की गतिविधियों को मैंने अपने प्रत्य़क्ष सुपरविज़न में रखने का निर्णय लिया है ।

इस बटालियन की बल संख्या 1388 रहेगी । इसमें 2 उप सेनानी, 9 सहायक सेनानी, 15 कंपनी कमांडर, 50 प्लाटून कमांडर, 100 प्रधान आरक्षक एवं 300 आरक्षकों की अतिरिक्त होगी जिसके लिये शासन के पास स्वीकृति हेतु जा रहे हैं । उच्च स्तरीय अस्त्र-शस्त्र और उपकरण की भी हम फेहरित बना रहे हैं और उन्हें ख़रीदने की भी हम पहल कर रहे हैं । कुछ ही महानों में, हम आप एक जांबाज कमाडों की टुकड़ी आपके सामने पेश करेंगे जो किसी भी आंतकी हमले मे कारगर हस्तक्षेप कर उसे रोकने, पस्त और ध्वस्त करने मे सक्षम होगा ।
० विश्वरंजन
पुलिस महानिदेशक

सिंगावरम मुठभेड़ को फर्जी बताना साई वार का हिस्सा – राहुल शर्मा

दुष्प्रचार व चालाकी नक्सली का हथियार
सलवा जुडूम और एसपीओ को बदनाम करने का सुनियोजित षडयंत्र
दंतेवाड़ा । दंतेवाड़ा जिले के सिंगावरम में हुई घटना पूरी तरह से पुलिस-नक्सली मुठभेड़ ही है । इस पर उठाये गये प्रश्न बेबुनियाद है जो नक्सलियों के प्रचार तंत्र के सुनियोजित तरीके का हिस्सा है । नक्सली इसके पूर्व भी इसी तरह का आरोप लगाकर पुलिस के हर जायज और कानूनी कार्यवाही को कटघरे में खड़े करते रहे हैं । यह सुनियोजित साई-वार है जो नक्सली रणनीति और प्रबंधन का अहम् हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मात्र प्रजातांत्रिक व्यवस्था सहित पुलिस की कार्यप्रणाली को जनविरोधी करार देकर जनमत को बरगलाते रहना है । विगत 8 जनवरी को सिंगावरम मुठभेड़ के संदर्भ में कुछ नक्सली हितैषियों द्वारा दुष्प्रचारित कहानी के पीछे नक्सलियों, उनके समर्थकों और उनसे जुड़ी संस्थाओं की प्रमुख भूमिका है । लगभग हर सफल एनकांउटर घटनाओं से नक्सलियो का मनोबल गिरता है और उनके रिक्रुटमेंट ड्राइव की सुनियोजित कार्यवाही भी दुष्प्रभावित होती है ।

पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा श्री राहुल शर्मा ने सिंगावरम् की घटना को लेकर दुष्प्रचार करने वालों को नक्सलियों की चाल बताते हुए कहा है कि सिंगावरम के मुठभेड़ पुलिस-नक्सली मुठभेड़ थी । यह कहना पूर्णतः झूठ है कि वहाँ पुलिस ने ग्रामीणों की मारा है । ऐसा कहना सलवा जुडूम और एसपीओ को बदनाम करना है । क्योंकि नक्सली यह बखूबी जानते हैं कि धूर और घोर नक्सली क्षेत्रों में एसपीओ नक्सली गतिविधियों का पथ प्रदर्शन करते हैं । जो ग्रामीण नक्सलियों के भय और आतंक से ग्रस्त होकर उनके हाथों की कठपुतली बनने को बाध्य है क्या वे फिर से उनके भय और दबाब मे क्योंकर नहीं कह सकते कि वहाँ ग्रामीण मारे गये हैं ।

इस मुठभेड़ में जिसमें नक्सलियों की मिलिट्री-प्लाटून एवं जन-मिलिशिया के 50-60 नक्सलियों के साथ जिला पुलिस बल एवं एसपीओं के जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए मुकाबला किया । उस दिन सिंगावरम में नक्सली एवं जन-मिलिशिया द्वारा आगामी 26 जनवरी को काला दिवस मनाने की रणनीति तय करने के लिए बैठक आयोजित थी, जिसे पुलिस द्वारा ध्वस्त करते हुए नक्सली-षड़यंत्र को विफल कर दिया गया था । घटना स्थल की सर्चिंग पर अंधेरे के बाद भी 15 नक्सलियों के मृत शरीर की गणना की गई थी । उन सभी नक्सलियो के फोटोग्राफ़ भी लिये गये थे । यह एक तरह से विगत 2-3 वर्षों की सबसे बड़ी पुलिस रिकव्हरी है, जिसमे भारी मात्रा में गोला बारूद तथा अन्य सामग्रियों की बरामदगी हुई थी । इसका कारण नक्सली रणनीति मे हार्ड कोर यानी मिलिट्री दलम के मुख्य नक्सली हमेशा जनमिलिशिया के दो घेरों के बीच चलते हैं । अतः इन्हीं के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई, किसी भी घटना में सबसे पहले जन-मिलिशिया कैडर होता है एवं उनके पीछे हार्ड कोर नक्सली अर्थात् मिलिट्री प्लाटून होती है जो तात्कालिक एवं आकस्मिक परिस्थितियों के अनुसार मोर्चा लेकर मुकाबला करने अथवा वहाँ से पीछे हटने का फैसला करती है । सिंगावरम् में भी यही हुआ और डेढ़ से दो घंटे की मुठभेड़ के बाद रणनीतिक आदत के अनुसार मिलिट्री प्लाटून पीछे हट गई । यह दीगर बात है कि पुलिस द्वारा अत्याधुनिक रायफ़लें बरामद नहीं की जा सकी थी । न ही उसी समय लाशों को कब्जे में लेकर थाना नहीं लाया जा सका था । ऐसा तत्कालीन परिस्थितियों में संभव नहीं था क्योंकि 15 शवों को लाने के लिए कम से कम 60 पुलिस कर्मियों की आवश्यकता होती । इसके अलावा यह टीम लगातार मुठभेड़ के कारण बेहद थकी हुई भी ती । उस समय 12 एसपीओ घायल अवस्था में थे जिन्हें सुरक्षित अस्पताल पहुँचाने कहीं ज़्यादा ज़रूरी था ।

यहाँ यह भी काबिलेगौर है कि आम तौर पर जन मिलिशिया कैडर के पास टंगिया, तीर-धनुष तथा सुअर बम से लेकर भरमार हथियार होते हैं जिसकी पुलिस द्वारा रिकव्हरी की गई है । मुठभेड़ में मिलिट्री-प्लाटून की मौजूदगी इस बात से प्रमाणित होती है कि ऐन मौके पर 5 हैंड ग्रिनेड़, 6 किली जिलेटिन एवं बम बनाने में उपयोग लायी जाने वाली सामग्रियों के साथ 10 नग पिट्ठू, 2 देशी टू इंट मोर्टार बरामद हुए हैं । यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि विगत 2007 के दिसम्बर माह में थाना गोलापल्ली से मात्र 4 किमी की दूरी पर 12 जवान बीमार पुलिस साथियों को ले जाने के दौरान नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गये थे, जिनके मृत शरीर को घटना स्थल से निकालने में पुलिस को पूरे 48 घंटे मशक्कत करनी पड़ी थी । यह घटना स्थल भी थाने से जंगली रास्तों से तकरीबन 15 किमी की दूरी पर है, जो अत्यंत ही धुर नक्सली संवेदनशील क्षेत्र है।

मुठभेड़ समाप्त होने पर शाम हो चुकी थी । उस क्षेत्र में पिछले 48 घंटे से ऑपरेशन पर गई पुलिस पार्टी बुरी तरह थक चुकी थी, अतः घटना स्थल पर मौजूद पुलिस कमांडर ने मुठभेड़ मे घायल 3 जवानों, एसपीओ जिनमें से 2 जवानों के पैर को छूती हुई गोली निकली थी एवं 1 जवान के हाथ के पास ग्रिनेड़ फटने से घायल हुआ था, को प्राथमिक उपचार हेतु निकालना ज्यादा उचित समझा तथा घटना स्थल की सर्चिंग कर बरामद साम्रगी को एकत्रित कर पुलिस बल को शाम 6.30 बजे तक सुरक्षित थाना गोलापल्ली पहुँचाया । घायल जवानों को दंतेवाड़ा से प्राथमिक उपचार पश्चात सुकमा सीएससी में भर्ती कराया गया है, ताकि उनके परिजन उनकी अच्छी तरह देखरेख कर सकें ।

पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा ने आगे कहा कि अगले दिन हेलीकॉप्टर से 3 जवानों को निकाला गया तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा घटना स्थल पहुँचकर घटनाक्रम का ज़ायज़ा लिया गया और बॉड़ी रिकव्हर करने के लिए अधिक फोर्स के साथ पुलिस पार्टी को रवाना किया गया । इसी बीच आंध्रप्रदेश से पत्रकारों का दल प्रातः घटना स्थल पहुँचकर ग्रामीणों से बातचीत करने तथा मृतकें के फोटोग्राफ्स लेने के बाद वहाँ से बिना पुलिस ताने आए वापस लौट गये । वहाँ पर मौजूद ग्रामीणों द्वारा शव को पुलिस पार्टी के पहुँचने के पूर्व ही अपने-अपने गाँव ले गये । इसके बाद दंतेवाड़ा से एक्सीक्यूटिव मजिस्ट्रेट तथा डॉक्टरों का दल भेजा गया जिनके द्वारा 11 नवंबर को घटना स्थल पर जाकर दफनाये गये शवों कको निकालने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें 1 शव को निकालने की कार्यवाही की गई था डॉक्टर द्वारा गन शॉट से मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है ।

इतनी ही नहीं, पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा ने स्वयं घटना की संवेदनशीलता को भाँपते हुए स्वयं कलेक्टर से मजिस्ट्रियल जाँच कराने का भी आग्रह किया है जिस पर कार्यवाही शुरू की जा रही है जिससे वास्तविकता तथ्यों सहित सबके सामने आ सके ।

16 नक्सलियों को मार गिराया पुलिस ने

साल के प्रारंभ में ही मिली पुलिस को बड़ी सफलता
डीजीपी ने दी शाबासी
रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य की जनता को नक्सलियों के भय और आतंक से मुक्त कराने की मुहिम अब रंग लाने लगी है । पुलिस बल अपनी संपूर्ण ऊर्जा और आत्मविश्वास से नक्सलियों की राज्य से सफ़ाई के लिए कटिबद्ध है । पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन की रणनीति और दिशा निर्देशन में जिला पुलिस दंतेवाड़ा को आज एक बड़ी सफलता मिली है, जिसमें 16 खूँखार नक्सली मारे गये । पुलिस महानिदेशख ने धूर बस्तर में जान की परवाह न कर नक्सलियों को मार गिराने वाले पुलिस अधिकारियों को शाबासी दी है ।

जिला पुलिस दंतेवाड़ा द्वारा 6 जनवरी 09 को कांकेर लंका से एक गस्ती दल जिसमें लगभग 80 एसपीओ एवं जिला पुलिस बल के जवान सम्मिलित थे, नक्सली सर्चिंग पर रवाना गया । आज 8 जनवरी को उक्त गस्ती दल को वापस आना तय़ था । वापसी के दौरान इस दल को सिंगाराम नाले के पास नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों की बैठक लिये जाने की सूचना प्राप्त हुई । बस क्या था । दल के सिपाही और अधिकारी ने बिना चूक किये सिंगाराम नाले की ओर कूच किया । सिंगाराम नाला पहुँचना मात्र था, नक्सलियों के द्वारा आदतन पुलिस बल पर हमला बोल दिया गया। इस पर पुलिस बल ने भी जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी । दोनों तरफ़ से लगभग दो घंटे यानी 3 बजे से 5 बजे तक मुठभेड होने के पश्चात नक्सली मैदान छोड़कर भाग निकले । पुलिस बल के द्वारा जब सर्चिंग की गई तो वहाँ 15 नक्सलियों के मारे जाने की खबर लगी है । मुठभेड में 3 नक्सलियों को भी नक्सलियों के हथियार से घायल होना पड़ा । अंधेरा होने के कारण तथा घायल एसपीओ को तत्काल गोलापल्ली पहुँचाने के कारण नक्सलियों के शब बरामद तत्काल नहीं बरामद किये जा सके । समाचार लिखने तक पुलिस इस मुहिम में जुटी हुई है । पुलिस अधीक्षक इस अभियान की निजी तौर पर निगरानी कर रहे हैं । घटना स्थल पर नक्सलियों के 5 बंदूक, 5 हैंट ग्रेनेड, 10 पिट्ठू, 2 देशी मोर्टार सहित कम से कम 5 किलोग्राम जिलेटिन बरामद किया गया है ।

इसी तरह एक दूसरी सफलता में जिला पुलिस बीजापुर को 1 नक्सली को मार गिराने में सफलता मिली है । आज 8 जनवरी को ही जिला बीजापुर थाना से पुलिस बल, होमगार्ड एवं एसपीओ की एक संयुक्त टीप नक्सली गश्ती के लिए निकली हुई थी और लौटते समय क़रीबन पाँच बजे मनकेली पहाड़ी के पास अज्ञात सशस्त्र वर्दीधारी नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर अंधाधूंध फायरिंग करनी शुरू कर दी । मौका ए वारदात जवाबी फायरिंग में एक नक्सली को मौत के घाट उतार दिया गया । वारदात के बीच ही नक्सलियो का दल भाग निकला । उधऱ दूसरी ओर बीजापुर थाना अंतर्गत पोस्ट पामलवाया से सवेरे 10 बजकर 15 मिनट पर एपीसी अंजुलिस मिंज के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, जिला पुलिस बल तथा एसपीओ की नक्सली गश्त के लिए संयुक्त टीम निकली । गश्ती के दरमियान ही 1 बजे दोपहर पोंजेर नाला के पास प्रेशर बम के फटने से जिला पुलिस बल का आरक्षक प्रवीण कुमार कश्यप को साधारण चोटें आयी हैं । उन्हें ईलाज हेतु शासकीय अस्पताल बीजापुर में भर्ती कराया गया है। श्री कश्यप ख़तरे से बाहर हैं ।

एससी, एसटी अधिनियम में लापरवाही करने वाले विवेचना अधिकारी भी दंडित होंगे


अब राज्य में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के शोषण और उनके विरूद्ध होने वाले अपराधों पर लगाम कसने के लिए ऐसे प्रकरणों की विवेचना हर हालत में एक माह के भीतर करके चालान प्रस्तुत किया जायेगा । पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन के मार्ग निर्देशन में पुलिस महानिरीक्षक, (अजाक) आर। सी. पटेल द्वारा आज पुलिस मुख्यालय में संपन्न राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में सभी जिलों के नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि एससी, एसटी अधिनियम के तहत जो विवेचना अधिकारी लापरवाही बरतेंगे उन्हें धारा 4 के तहत दंडित किया जायेगा ताकि समय सीमा के भीतर ऐसे वर्गों के प्रताडित लोगों के अधिकारों का संरक्षण किया जा सके ।

सभी नोडल अधिकारियों को नये सिरे से निर्देशित किया गया है कि अजा, अजजा, पिछड़े वर्ग तथा महिलाओं के विरुद्ध कारित अपराधी प्रकरण में यदि कोई अपराधी न्यायालय से छूट जाता है तथा उसके द्वारा पुनः ऐसा कोई अपराध कारित किया जाता है तो धारा पाँच के तहत उसके दंड मे वृद्धि करायी जाये । ऐसे प्रकरणों में धारा 10 के तहत आरोपी के विरूद्ध जिला बदर की कार्यवाही भी की जा सकती है। बैठक में सारे लंबित प्रकरणों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए चालान प्रस्तुत करने हेतु भी कड़ा निर्देश दिया गया ।

पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जहाँ बड़ी संख्या में इन वर्गों का शोषण या उनके खिलाफ़ अपराध होते हैं या ऐसी संभावना बनी रहती है उन क्षेत्रों को चिन्हाकित करके तत्काल परिलक्षित क्षेत्र घोषित किया जावे तथा ऐसे परिलक्षित क्षेत्रों में नोडल अधिकारियों की पदस्थापना, अतिरिक्त बल, अवैयरनेस कैंप, शांति समिति की बैठकें आयोजित कर उनके संरक्षण एवं विकास पर आवश्यक ध्यान दिया जावे । बैठक में दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, राजनाँदगाँव, जाँजगीर, कोरबा, कोरिया, कबीरधाम जैसे परिलक्षित क्षेत्रों के नये प्रस्ताव बनाकर आवश्यक रूप से भेजने का निर्णय लिया गया ।
श्री पटेल द्वारा सभी जिला अधिकारियो को निर्देशित किया गया कि अजजा और जजा वर्ग के फ़रियादी द्वारा लाया गया एफआईआर को अनिवार्यत पंजीबद्ध किया जाये तथा बिना राजीनामा के ऐसे प्रकरणों का चालान एक माह के भीतर न्यायालय में प्रस्तुत किया जावे । अधिकारियों को टोनही डायन आदि मामलों की निरंतर निगरानी तथा राज्य में विभाग द्वारा शुरू किये गये अंधविश्वास उन्मूलन अभियान स्वयंसेवी भाव से चलाने के संबंध में भी निर्देश दिया गया । इसके लिए जिला, अनुविभाग, थाने स्तर पर टास्क फोर्स गठित कर स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं के माध्यम से राज्य भर में अंधश्रद्धाओं और अंधविश्वासों के खिलाफ सामाजिक अभियान चलाने हेतु अभिप्रेरण किया गया ।

नक्सलवाद जैसी समस्या का सामना पूरी कर्तव्यनिष्ठा से करें – गृहमंत्री




नक्सलवाद जैसी गंभीर चुनौतियों का मुकाबला अदम्य साहस, कर्तव्यनिष्ठा एवं ईमानदारी के साथ करना होगा और इस दिशा में पुलिस द्वारा कर्तव्यपालन के दौरान आने वाली सभी समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव क़दम उठाये जा रहे हैं । भविष्य में भी राज्य शासन इसके लिए सदैव कटिबद्ध रहेगी । गृहमंत्री श्री ननकीराम कँवर ने पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय, माना में 26 वें नव आरक्षक बुनियादी प्रशिक्षण सत्र के नव आरक्षकों के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के आसंदी से नव आरक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में नक्सली समस्या के साथ आम नागरिकों के जीवन में शांति और सुरक्षा की भावना बनाये रखने में आरक्षकों की महती भूमिका है, और यही विकास के लिए ज़रूरी है । उक्त अवसर पर पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन ने अपने संबोधन में कहा कि पुलिस को बेशक अपने काम को अंजाम देने में अनेक तरह के अवरोधों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है लेकिन हमें अपने लक्ष्यों से नही भटकना चाहिए । उन्होंने नव आरक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें पूरी सतर्कता, मुस्तैदी से सेवा करते हुए आम नागरिकों का विश्वास अर्जित करना होगा । उन्होंने नव प्रशिक्षित आरक्षकों के उच्च कोटि प्रदर्शन के लिए प्रशिक्षण शाला के प्रशिक्षकों की भूरि-भूरि प्रशंसा की ।


इसके पूर्व दीक्षांत परेड़ समारोह में कुल 305 आरक्षकों ने भाग लिया जिन्हें कार्यक्रम के दरमियान श्री के। सी. अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक, पीटीएस, माना ने पूर्ण ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा एवं प्राण प्रण से सेवा करने की शपथ दिलायी । उक्त अवसर पर प्रशिक्षण काल के दरमियान विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट भूमिका निर्वहन के लिए कई नव आरक्षकों को गृह मंत्री ने प्रशंसा पत्र प्रदान कर हौसला आफ़जाई भी की । कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन श्री राजीव श्रीवास्तव, पुलिस महानिरीक्षक ने किया ।


इस विशिष्ट आयोजन में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री गिरिधारी नायक, पुलिस महानिरीक्षक (छसबल एवं प्रशिक्षण) श्री राजीव श्रीवास्तव, उप पुलिस महानिरीक्षक (छसबल, भिलाई) श्री एम.एस. तोमर, गृह सचिव श्री मनोहर पांडेय, पुलिस अधीक्षक रायपुर श्री अमित कुमार सहित सैकड़ों वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एव कर्मचारी, संस्था के प्रशिक्षण गण, गणमान्य नागरिक, मीडियाकर्मी उपस्थित थे।

प्रगति के पथ पर छत्तीसगढ़ पुलिस

नव वर्ष के शुभारंभ की सुबह आत्मावलोकन की सुबह है। वर्ष 2008 समय के सनातन नियम के अनुसार पुलिस विभाग के लिये नये अनुभवों तथा उपलब्धियों का रहा। प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह के सक्षम नेतृत्व में राज्य पुलिस ने भरसक प्रयास किया कि यह विकास की अभिकर्ता के रूप में सामने आए। राज्य में मौजूदा हालात राज्य पुलिस के लिये चुनौतीपूर्ण है और पुलिस बल ने बखूबी प्रभावी कार्य कर दिखाया है। राज्य पुलिस ने इस वर्ष अधोसंरचना के उन्नयन हेतु विशेष प्रयास किए हैं। अपराधों के अन्वेषण, अभियोजन, अपराधों की रोकथाम तथा शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये पर्याप्त व्यावसायिक दक्षता का प्रदर्शन किया है। राज्य पुलिस व्यावसायिक दक्षता की वृद्धि करने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये वर्ष 2008 में उत्साहजनक प्रयास किये हैं।

मानव संसाधन में वृद्धि हेतु स्वीकृतियाँ

मानव संसाधन में अभिवृद्धि के अनुक्रम में वर्ष 2008 में विभिन्न संवर्ग के कुल 2660 नवीन पदों की स्वीकृति दी गई है। जिसमें, 03 नवीन अजाक थाना, 05 चौकी तथा 02 चौकियों का थाने में उन्नयन हेतु 244 पद, गृह (पुलिस) विभाग से संबंधित माननीय न्यायालय में लंबित प्रकरणों एवं समय पर माननीय न्यायालय में जवाब प्रस्तुत करने के उद्देश्य से पुलिस जवाबदेही प्राधिकरण के गठन हेतु 44 पद, नक्सल क्षेत्र के थाना एवं चौकियों के प्रभावी नियंत्रण हेतु पुलिस अनुविभागीय अधिकारी एवं सहायक अमले के 03 पद, गृह (पुलिस) विभाग का कार्य क्षेत्र व्यापक होने के कारण छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल हेतु महानिदेशक का 01 पद, नक्सल क्षेत्रों के नवीन थाना/चौकी एवं अन्य आवासीय/प्रशासकीय भवनों के निर्माण हेतु पायोनियर कंपनी के गठन हेतु 142 पद, अति संवेदनशील प्रदेश होने के कारण राज्य के प्रथम नागरिक महामहिम राज्यपाल महोदय एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय की सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था हेतु 212 पद, प्रदेश के समूचे नक्सली गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु 02 भारत रक्षित वाहिनी बस्तर क्षेत्र के अंतर्गत 15वी, 16वीं वाहिनी हेतु 2014 पद, नक्सल क्षेत्र के अंतर्गत संवेदनशील, अतिसंवेदनशील थाना/चौकी एवं फील्ड में पदस्थ अधिकारी एवं कर्मचारियों को क्रमश: 15: एवं 20: नक्सली भत्ता की स्वीकृति प्रदान की गई है।

पदोन्नतियाँ :-
पुलिस विभाग में लगभग सभी संवर्गों के पुलिस अधिकारियों को पदोन्नति प्रदान की गई है। उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों को करीब 3 वर्ष से अधिक समय से लंबित उच्च वेतनमान की स्वीकृतियाँ शासन द्वारा जारी की गई है। कुल 16 निरीक्षकों को उप पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नति दी गई। सभी संवर्गों के लिपिकीय कर्मियों को भी पदोन्नति प्रदान की गई है। इसके अलावा 135 सहायक उप निरीक्षको एवं 130 उप निरीक्षकों एवं 63 सउनि (एम) को क्रमश: उप निरीक्षक, निरीक्षक व उप निरीक्षक (अ) के पद पर पदोन्नति हेतु योग्यता सूची जारी कर दी गई है जिन्हें शीघ्र पदोन्नतियाँ दी जावेगी ।

सीधी भर्ती

वर्ष 2008 में पुलिस में सीधी भर्ती के समस्त पदों पर भर्तियाँ की गई है। थानों के अपग्रेडेशन के अंतर्गत द्वितीय चरण के तहत स्वीकृत लगभग 4000 आरक्षकों की भर्ती की जा चुकी है । इसी प्रकार 380 उप निरी0/सूबेदार/प्लाटून कमाण्डर की सीधी भर्ती की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। लोक सेवा आयोग से चयनित होकर 41 उप पुलिस अधीक्षक नियुक्ति पश्चात पुलिस अकादमी चन्दखुरी में प्रशिक्षणरत् हैं। पुलिस प्रशिक्षण संस्थाओं के लिए 02 योग शिक्षक भी नियुक्त किए गए हैं जो पुलिसकर्मियों को योग प्रशिक्षण दे रहे हैं, जिससे पुलिस कर्मियों के स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ उन्हें मानसिक तनाव को कम करने में सहायता मिल रही है।

पुलिस बजट -
राज्य शासन द्वारा वित्तीय वर्ष 2008-09 हेतु पुलिस विभाग हेतु मूल बजट में रू0 582.62 करोड़ एवं प्रथम अनुपूरक अनुमान में रू0 93.03 करोड़ इस प्रकार कुल 675.65 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। नवम्बर 2008 की स्थिति में प्रावधानित बजट में से रू0 423.36 करोड़ का व्यय हो चुका है अथाZत उपयोगिता 62.66 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।

साधन सुविधाएँ :-

• आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत टाटा सूमो विक्टा 05, ट्रेक्टर मय ट्राली 05, जीप 53, बोलेरो इन्वेडर 05, बुलेट प्रुफ महिन्द्रा जीप 01, हाइड्रोलिक क्रेन 01, जेल वाहन 02, वज्र वाहन 10, आर0आई0वी0 02, मोटर सायकिल 100, 52 सीटर बस 04, वाटर टैंकर 04 नग क्रय कर इकाईयों को आबंटित किया गया है ।
• योजना अंतर्गत उपकरण/सामग्री सर्च लाईट 321 नग, क्वायर मेट्रेस 350 नग, फोिल्डंग कॉट 350 नग, फोटोकापियर 62 नग, जनरेटर 2.5 केवीए 14 नग, डिजीटल डुप्लीकेटिंग मशीन 04 नग, नाईट विजन गॉगल 16 नग, हेण्ड ग्रेनेड ट्रेनिंग सिमुलेटर 05 सेट, इमरजेंसी लाईटिंग सिस्टम 12 नग, लेपटॉप कम्प्यूटर 12 नग, डेस्कटॉप कम्प्यूटर 70 नग, 110 नग लेजर प्रिंटर, टी0वी0 विथ डीवीडी 10 नग, कम्प्यूटर टेबल एवं चेयर 88 नग, जनरेटर 10 केवीए 09 नग क्रय कर इकाईयों को आबंटित किया गया है ।
• राज्य बजट के अंतर्गत 13वीं वाहिनी एवं अन्य इकाईयों हेतु जीप 18 नग, मिनी बस 13 नग, वज्र वाहन 03 नग, बुलेट प्रुफ बोलेरो 02 नग, बुलेट प्रुफ जीप 01 नग, सर्च लाईट 25 नग, जनरेटर 03 नग, विन्डो कूलर 13 नग, क्वायर मेट्रेस 380 नग, जनरेटर 10 केवीए 20 नग क्रय किया जाकर इकाईयों को आबंटित किया गया है। 13वीं वाहिनी हेतु फर्नीचर एवं कार्यालय उपकरण कम्प्यूटर, टाईपराइटर, डुप्लीकेटिंग मशीन, प्रोजेक्टर, जनरेटर, कूलर, आलमारी, फेक्स, फोटोकापियर क्रय किया जाकर प्रदाय किया गया है ।

पुलिस बल का आधुनिकीकरण -

वर्ष 2008 में पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना 2007-08 अंतर्गत भारत सरकार, गृह मंत्रालय से रू0 28.10 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त हुई है। प्राप्त आबंटन से विभिन्न इकाईयों में प्रशासकीय भवन, आवासीय भवनों का निर्माण कराया जा रहा है। वाहन, अस़्त्र-शस्त्र, सुरक्षा एवं अन्य उपकरण, प्रशिक्षण उपकरण, एफएसएल उपकरण तथा दूरसंचार उपकरणों का प्रबंध किया जा रहा है। स्वीकृत सामग्री/उपकरणों की क्रय कार्यवाही त्वरित गति से जारी है। स्पेशल ग्रांट के तहत नक्सल समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा अतिरिक्त रूप से स्वीकृत किए गए रू0 15.00 करोड़ के अस्त्र-शस्त्र एवं रू0 4.11 करोड़ के 5 नग माईन प्रोटेक्टेड वाहन क्रय किये जा रहे हैं। राज्य शासन द्वारा दिये गये अनुदान के तहत रू0 6.41 करोड़ के अत्याधुनिक हथियार विदेशों से आयात किये जा रहे हैं।

प्रशासकीय एवं आवासीय भवनों का निर्माण

 12 वे वित्त आयोग के अंतर्गत
जंगलवार फेयर कालेज कांकेर के प्रशासकीय/आवासीय भवन निर्माण हेतु 807।83 लाख, पुलिस अकादमी चन्दखुरी के प्रशासकीय/आवासीय भवन निर्माण हेतु रूपये 803.015 लाख, पीटीएस माना के उन्यन हेतु प्रशासकीय भवन निर्माण हेतु रूपये 131.00 लाख, पीटीएस राजनादगांव के उन् प्रशासकीय/आवासीय भवन निर्माण हेतु 57.82 लाख, एपीटीएस बारसूर केम्प जगदलपुर के प्रशासकीय/आवासीय भवन निर्माण हेतु रूपये 57.29 लाख, पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र बोरगाँव के प्रशासकीय /आवासीय भवन निर्माण हेतु 29.00 लाख, को-आर्डिनेशन सेन्टर रायपुर हेतु 213.31 लाख, को-आर्डिनेशन सेन्टर बस्तर हेतु 203.27 लाख, को-आर्डिनेशन सेन्टर सरगुजा हेतु 203.27 लाख, नवीन पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय मैनपाट सरगुजा के प्रशासकीय भवन निर्माण हेतु रूपये 300.00 लाख का आवंटन जारी किया गया है।

आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत

1 पुलिस लाईन, 3 थाना भवन, 20 अराजपत्रित आवासगृह, 80 प्रधान आरक्षक आवास गृहों के निर्माण हेतु रू0 494।00 लाख की स्वीकृति, पुलिस थानों में कंप्यूटरीकरण हेतु सीपा योजना के अन्तर्गत 100 थानो मे 10 ग् 10 पक्का रूम निर्माण हेतु 45.00 लाख का आवंटन जारी, पायलेट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत जिला बीजापुर हेतु 1520.21 लाख एवं जिला दन्तेवाडा हेतु 1068.40 लाख की स्वीकृति भारत सरकार से जारी, राज्य योजना मंडल के अन्तर्गत 10.00 करोड लागत से प्रशासकीय भवन निर्माण हेतु स्वीकृति जारीं।

राज्य बजट के अंतर्गत

6.34 करोड की लागत से विभिन्न थाना/चौकियों एवं क्वार्टर गार्ड के कन्सर्टिना क्वायल फेंसिंग एवं एम एस फेब्रिकेटेड गेट निर्माण की स्वीकृति, 11 बटालियनों में एक-एक एवं जिलों के पुलिस लाईनों में दो-दो कुल 51 सुलभ शौचालय निर्माण हेतु रूपये 434.52 लाख की स्वीकृति, 10 बटालियन एवं अन्य स्थानों में ओवर हेड टेन्क निर्माण हेतु रूपये 50.00 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति एवं 16 थाना एवं 01 चौकी भवन निर्माण हेतु रूपये 359.26 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति जारी।

कानून व्यवस्था की उत्कृष्ट स्थिति :-
वर्ष 2008 में प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पूर्णत: नियंत्रण में रही। विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा राष्ट्रीय, राजनैतिक व स्थानीय समस्याओं को लेकर जूलूस, धरना/प्रदर्शन, आमसभा इत्यादि आंदोलन किये गये, जो शातिपूर्ण रहे। राज्य में साम्प्रदायिक सौहाद्रZ पूणत: कायम रहा। प्रदेश की जनता ने कानून व्यवस्था बनाये रखने में सहयोग दिया। प्रदेश में राज्य विधान सभा चुनाव दिनांक 14.11.2008 से 13.12.2008 तक शांतिपूर्ण सम्पन्न हुए। इसके अतिरिक्त कृषक, छात्र, शासकीय सेवकों एवं श्रमिक संगठनों के आंदोलन शांतिपूर्ण रहे। राज्य का पुलिस तंत्र जनसमस्याओं के निवारण हेतु कृतसंकल्प है। प्रदेश के 2 करोड़ 8 लाख नागरिकों का विश्वास राज्य की पुलिस पर और मजबूत हुआ है।

कल्याणकारी योजनाएँ
सामुहिक बीमा :- राज्य शासन द्वारा नक्सली हिंसा में शहीद, अपंग एवं घायल होने वाले पुलिस अधिकारियों के परिवारों को बीमा क्लेम की राशि 211 शहीदों के लिए रू0 21.10 लाख का भुगतान किया गया है। बीमा दावों के भुगतान में आ रही असुविधाओं को दूर करने के उद्वेश्य से राज्य शासन द्वारा अब सामूहिक बीमा विकल्प विशेष अनुदान योजना 2008 दिनांक 29.05.08 से लागू की गई है। इस हेतु राज्य शासन द्वारा 5.00 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई है। अब तक 28 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है।

परोपकार निधि :-
परोपकार निधि में कमचारियों के वेतन से अंशदान एवं शासन से प्राप्त अनुदान की राशि से मृतक के आश्रित परिवार को रू0 20,000/- एवं नक्सली हिंसा में शहीदों के आश्रितों को रू0 1.00 लाख की राशि अनुदान के रूप में दी जाती है। इसके अंतर्गत 22 शहीदों के आश्रितों को रू0 22.00 लाख का भुगतान किया जा चुका है।

सम्मान निधि :-
छत्तीसगढ़ पुलिस के समस्त अधिकारियों द्वारा अपने एक दिन के वेतन से शहीद सम्मान निधि का गठन किया गया है जो शहीद स्मृति दिवस 21 अक्टूबर, 2008 से प्रारंभ की गई है । जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ पुलिस के शहीद होने वाले पुलिस अधिकारी के परिवार को राशि रू0 1.00 लाख पृथक से सम्मान निधि के रूप में स्वीकृत किए जाते हैं। अब तक 8 शहीद पुलिस अधिकारियों के आश्रित परिवारों को इस निधि के अंतर्गत भुगतान किया गया है ।

विशेष अनुग्रह अनुदान :-
छत्तीसगढ़ में नियोजित किए गए अन्य अर्द्ध सैनिक बलों के अधिकारियों के शहीद होने की स्थिति में विशेष अनुग्रह अनुदान राशि स्वीकृत किए जाने हेतु पूर्व में राज्य शासन द्वारा स्वीकृत का सरलीकरण करते हुए अब राशि रू0 3।00 लाख प्रत्येक शहीद के आश्रित परिवार को स्वीकृत किए जाने के अधिकार पुलिस महानिदेशक को प्रदाय किए गए हैं जिससे अब अपेक्षाकृत शीघ्र यह राशि शहीद के आश्रित परिवार को सुलभ कराई जा सकेगी।

शहीदों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति हेतु नियमों का शिथिलीकरण :- पुलिस विभाग की पहल पर राज्य शासन द्वारा शहीदों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति दिए जाने बाबत् नियमों का शिथिलीकरण किया गया है जिसके तहत अब शहीद के परिवार के किसी अन्य सदस्य के शासकीय सेवा में होते हुए भी एक अन्य सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता होगी। इसी प्रकार शैक्षणिक योग्यता में भी आवश्यक छूट देने के अधिकार पुलिस महानिदेशक को दिए गए हैं तथा अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने हेतु आवेदन-पत्र की समय-सीमा 6 माह के स्थान पर 01 वर्ष की गई है।

अपराध अनुसंधान

• पुलिस थानों के कंप्यूटराईजेशन की ओर बढ़ते कदम :- पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली को नागरिकों हेतु सुविधाजनक बनाने तथा पारदर्शिता लाने के उद्देशय से एन.आई.सी. द्वारा भारत सरकार की सीपा योजना के प्रथम चरण के अंतर्गत राज्य के 10 प्रतिशत थानों में कम्प्यूटरीकरण का कार्य प्रारंभ किया गया था। इसी तारतम्य में राष्ट्रीय ई-गर्वनेंस योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा सी.सी.टी.एन.एस. योजना प्रारंभ की जा रही है जो कि सीपा का अत्याधुनिक एवं समेकित रूप है सी.सी.टी.एन.एस. में सीपा के अतिरिक्त पुलिस विभाग में प्रचलित कम्प्यूटरीकरण की अन्य योजनाओं को भी समाहित किया गया है। सी.सी.टी.एन.एस. के नोडल आफिसर की नियुक्ति कर दी गई है एवं प्रक्रिया जारी है।

• फिंगर प्रिंट शाखा की उपलब्धि :- ब्यूरो द्वारा वर्ष 2008 में 10 विवादग्रस्त दस्तावेजों, 56 वस्तु प्रकरणों, 1072 अंगुल चिन्ह अभिलेख पिर्णयों, 1736 अन्वेषण पिर्णयों, 41 निगरानी बदमाशों के अंगुल चिन्हों का वर्गीकरण कर प्रकरण निराकृत किए गए।

• साईबर लेब की स्थापना :- अपराध अनुसंधान विभाग के अंतर्गत कार्यरत साइबर सेल में हार्ड डिस्क से मिटाए गए डाटा के पुर्ननिर्माण के लिए विशेष साफ्टवेयर (ECASE V5.0) क्रय किया गया है जिसकी सहायता से जाली अंकसूची प्रकरण में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की गई ।

• फोटोग्राफी :- फील्ड स्तर पर अपराध अनुसंधान को वैज्ञानिक रूप प्रदान करने हेतु आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत राज्य के 175 थानों को फिक्स फोकस कैमरे प्रदाय किए गए हैं, 16 जिलों को विडियो कैमरे तथा 14 जिलों को डार्क रूम सामग्री प्रदाय की गई है।

• अपराध में नियंत्रण :-
पिछले वर्ष के नवम्बर माह से वर्तमान वर्ष अक्टूबर माह तक के आंकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण पर ज्ञात होता है कि पिछले वर्ष की तुलना में कुल भादवि अपराधों में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई है। आवेश में घटित होने वाले अपराध जैसे कि हत्या में 4.45 प्रतिशत की वृद्धि, जबकि हत्या के प्रयास में 12 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पुलिस मुख्यालय द्वारा सभी जिलों को स्वतंत्र रूप से अपराध पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए गए थे जिसके कारण डकैती तथा लूट जैसे सम्पत्ति संबंधी अपराधों में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई है। इसी अवधि में प्रतिबंधक धाराओं के अंतर्गत 12.7 प्रतिशत की एवं लघु अधिनियमों के अंतर्गत 21.4 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई है। वर्ष 2008 के दौरान प्रतिबंधात्मक धाराओं तथा लघु अधिनियमों के अंतर्गत की गई कार्यवाही में राज्य भर में उल्लेखनीय वृद्धि परिलक्षित हुई है जिसके कारण से अपराध नियंत्रण में अपेक्षित परिणाम अर्जित किए गए हैं। वर्ष 2008 में विभिन्न अपराध से संबंधित प्रकरणों में 24 संदिग्ध व्यक्तियों के पोटेZट बनाए गए जिसमें से 01 प्रकरण में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की गई।

नक्सलवाद पर करारा प्रहार :-
प्रदेश के विकास के मार्ग में सबसे बड़े अवरोध तथा लोकतंत्र के शत्रु नक्सलियों पर पुलिस द्वारा भीषण वार किया गया। वर्ष 2008 में 29 दिसम्बर तक नक्सल विरोधी मुहिम के दौरान हुई नक्सली व सुरक्षा बलों के साथ हुई 232 मुठभेड़ों में 67 नक्सलियों को मार गिराया गया एवं 156 नक्सली/404 संघम सदस्यों को गिरफ्तार कर 07 नक्सली कैम्प ध्वस्त किया गया। वर्ष 2008 (29 दिसम्बर तक) में नक्सलियों से भारी मात्रा में हथियार एवं विस्फोटक सामग्री जप्त की गई, जिसमें 01 नग ए.के-47, 02 नग एस.एल.आर., 04 नग 315 बोर रायफल, 06 नग 303 रायफल, 94 नग भरमार बंदूक, 21 नग 12 बोर बंदूक, 94 नग देशी कट्टा, 01 नग 12 बोर कट्टा, 01 नग देशी पिस्टल, 11 नग पिस्टल 04 देशी 2 इंच मोर्टार, 01 आटोमेटिक रायफल, 01 माउजर, 01 देशी स्टेनगन, 315 बोर कट्टा 01 नग, (कुल 244 हथियार) 83 लैण्डमाइंस, 218 डेटोनेटर सहित भारी मात्रा में कारतूस एवं प्रेशर बम, पेट्रोल बम तथा आई.ई.डी 08 नग आदि बरामद किये गये, इससे बौखलाकर नक्सलियों द्वारा हिंसात्मक घटनाए की गई। वर्ष 2008 (29 दिसम्बर तक) प्रदेश में नक्सलियों द्वारा हत्या 141, हत्या के प्रयास 264, डकैती 45, लूट 05, आगजनी 54, मारपीट 03, अपहरण 11 एवं अन्य 147 अपराधिक घटनाएँ कारित की गई जो नक्सलियों की हताशा का घोतक है एवं विगत वर्षों की तुलना में कम है। इस वर्ष विधानसभा चुनाव, पुलिस की सक्रियता से शांतिपूर्ण कराने में सफल रहे। वर्ष 2008 (29 दिसम्बर तक) के दौरान पुलिस बल के 64/16 (SPO) अधिकारियों ने कर्तव्य पथ पर चरम बलिदान कर अपने प्राणों की आहुति दी। वहीं नक्सली हिंसा में 139 आम नागरिकों, 05 अन्य शासकीय कर्मियों तथा 01 गोपनीय सैनिक की भी मृत्यु हुई। इसी मध्य रायपुर भिलाई, दुर्ग, बिलासपुर जैसे गैर नक्सल प्रभावित माने जाने वाले जिलों के सघन शहरी इलाकों में नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को तोड़ने, उनके समर्थक आईलम्मा कल्लवल्ला उर्फ कविता उर्फ संध्या उर्फ मीना चौधरी, मालती उर्फ के.एस. प्रिया उर्फ शांतिप्रिया, असित कुमार सेनगुप्ता को गिरफ्तार कर उनसे 5 लाख रूपये नगद, 5 नग वाहन, 47 नग वाकी टॉकी, 9 नग 9 एमएम पिस्टल, 53 नग 9एमएम पिस्टल के कारतूस, 251 नक्सली वर्दी पेंट, 197 शर्ट, 634 मी. कपड़ा एवं 87 नग देशी पिस्टल जप्त कर उनके आपूर्ति तंत्र को समाप्त करने में कामयाबी हाथ लगी है।

प्रशिक्षण से प्रवीणता :-
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु सीटीजेडब्ल्यू वारंगटे, मिजोरम की तर्ज पर प्रशिक्षण दिये जाने हेतु जंगलवार फेयर कॉलेज कांकेर की स्थापना किया जाकर अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नवगठित पुलिस अकादमी चंदखुरी में परीक्षाधीन 41 उप पुलिस अधीक्षकों का 1 वर्ष का बुनियादी प्रशिक्षण कराया जा रहा है। वर्ष 2008 में 01.11.2008 तक जिला पुलिस बल के 2605 नव आरक्षकों को विभिन्न प्रशिक्षण शालाओं में प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश के विभिन्न प्रशिक्षण शालाओं एवं वाहिनियों में 288 महिला आरक्षकों सहित कुल 3278 नव आरक्षकों को बुनियादी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

१८ आईपीएस की पदस्थापना में परिवर्तन

रायपुर । राज्य शासन ने आज 31 दिसम्बर को भारतीय पुलिस सेवा के 18 अधिकारियों की नवीन पदस्थापना एवं स्थानांतरण आदेश जारी किया है । नये आदेश के अनुसार श्री अनिल एम.नवानी महानिदेशक छसबल से महानिदेशक होमगार्ड, श्री गिरधारी नायक अतिरिक्त महानिदेशक गुप्तवार्ता एवं प्रशिक्षण से अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध अनुसंधान, श्री डी.एम.अवस्थी पुलिस महानिरीक्षक गुप्त वार्ता अपने कार्य के साथ-साथ पुलिस महानिरीक्षक रायपुर, श्री वाय.के.एस.ठाकुर पुलिस महानिरीक्षक रायपुर रेंज से पुलिस महानिरीक्षक, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, श्री आनन्द तिवारी पुलिस महानिरीक्षक, आर्थिक महानिरीक्षक, अपराध अनुसंधान, श्री संजय पिल्लै, सचिव गृह विभाग, छत्तीसगढ़ शासन से अतिरिक्त परिवहन आयुक्त, श्री मुकेश गुप्ता पुलिस महानिरीक्षक, सरगुजा रेंज से पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज (नया रेंज), श्री अशोक जुनेजा अतिरिक्त परिवहन आयुक्त से सचिव, गृह विभाग, छत्तीसगढ़ शासन, श्री आर.सी.पटेल पुलिस महानिरीक्षक, अजाक, पुलिस मुख्यालय से पुलिस महानिरीक्षक, सरगुजा रेंज, श्री बी.एस. मेरावी अवकाश से लौटने पर पुलिस महानिरीक्षक, अजाक, पुमु, श्री राजेश मिश्रा संचालक, खेल एवं युवा कल्याण से संचालक, लोक अभियोजन, श्री अरुणदेव गौतम, उप पुलिस महानिरीक्षक, मुख्यमंत्री सुरक्षा से उप पुलिस महानिरीक्षक, प्रशासन, श्री जी.पी.सिंह, उप पुलिस महानिरीक्षक, योजना एवं प्रबंधन, पुमु से संचालक, खेल एवं युवा कल्याण, श्री हिमांश गुप्ता, उप पुलिस महानिरीक्षक, अपराध अनुसंधान विभाग अपने कार्य के साथ-साथ उप पुमुनि, योजना एवं प्रबंध बनाया गया है ।
इसी तरह श्री ओमप्रकाश पाल पुलिस अधीक्षक धमतरी से पुलिस अधीक्षक कोरिया, श्रीमती नेहा चम्पावत, पुलिस अधीक्षक कोरिया से पुलिस अधीक्षक धमतरी, श्री एस. के.झा. पुलिस अधीक्षक रेल्वे रायपुर से पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा, श्री पी.एस.बारा पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा से पुलिस अधीक्षक रेल्वे, रायपुर बनाये गये हैं ।