200 अधिकारियों ने कागज को नोट में बदलना सीखा


रायपुर । 1 और 2 मार्च को पुलिस विभाग द्वारा संपन्न अंधश्रद्धा निर्मूलन कार्यशाला में राज्य भर के 200 से अधिक पुलिस उप अधीक्षकों, निरीक्षकों, हवलदारों, चिकित्सकों, वकीलों, विज्ञान शिक्षकों ने रंगकर्मियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नंगे पाँव दहकते अंगारों पर चलना सीखा । इसके अलावा इन सभी स्वयंसेवी मास्टर्स ट्रेनरों ने हवा में आग लगाने, नारियल से चावल, बाल आदि निकालने, कोरे कागज़ पर आकृति बनाने, गले से तलवार आर-पार करना, कागज़ को नोटों में तब्दील करना, किसी भी तस्वीर से भभूत निकालना आदि कई दर्जनों ऐसे हाथ सफाई और ट्रिक्स को प्रेक्टिकल कर सीखा जिसकी आड़ में ढ़ोंगी एवं शातिर बदमाश लोग सीधी-सादी जनता को ठग कर आर्थिक अपराधों को अंजाम देते हैं । ये प्रशिक्षक अब अपने-अपने जिलों के अनुविभाग, थाने और गाँवों के लिए कम से कम 20 हजार विशेष ट्रेनर्स प्रशिक्षित करेंगे जो ऐसे अपराधों पर रोकथाम के लिए प्रशिक्षित होंगे ।

छत्तीसगढ़ पुलिस की पहल का अनुकरण बिहार और महाराष्ट्र में भी
छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा शुरू किया गया सामाजिक, वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील चेतनामूलक अभियान देश भर में अनूठा है । यह देश के सभी राज्यों की पुलिस प्रशासन के लिए रोल मॉडल बनेगा । बिहार अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भंते बुद्धप्रकाश और देश भर में अंधविश्वास आधारित सामाजिक अपराधों के खिलाफ़ मुहिम चलाने वाली संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश चौबे ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा संचालित अभियान की कार्ययोजना को बिहार एवं महाराष्ट्र सरकार एवं पुलिस द्वारा लागू कराने का विश्वास जताया है । वे पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन की विशेष पहल से प्रारंभ किये गये अंधश्रद्धा आधारित अपराधों को हतोत्साहित करने के लिए संचालित अभियान की पहली कार्यशाला में सम्मिलित होने रायपुर आये थे। श्री चौबे ने छत्तीसगढ़ मॉडल की भूरि-भूरि प्रंशसा करते हुए इसे सभी राज्यों में लागू कराने के लिए स्वयं पहल की बात कही ।
पुलिस अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम बनेगा ।

पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन की खास पहल से विभाग द्वारा अंधविश्वास के कारण होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए संचालित सामाजिक अभियान को अब व्यापक रूप दिया जा रहा है । पूरे राज्य में अंधविश्वासों से मुक्त होकर वैज्ञानिक सोच के प्रसार के लिए सामाजिक सहभागिता का वातावरण बनाने की व्यापक रणनीति के अंतर्गत छत्तीसगढ़ पुलिस टोनही प्रताड़ना अधिनियम एवं औधषि और जादूई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम आदि कानूनों का कड़ाई से पालन कराने के लिए अब अपने विभाग के सभी फ़ील्ड अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विशेष तौर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जायेगा ।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) श्री गिरधारी नायक के मार्गनिर्देशन में पुलिस विभाग के सभी प्रशिक्षु पुलिस उप अधीक्षकों, सहायक उपनिरीक्षकों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके अलावा सभी जिलों में पुलिस प्रशिक्षण स्कूलों में भी नव नियुक्त आरक्षकों और हवलदारों को भी सेवाकालीन प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षित किया जायेगा ताकि वे सेवाकाल में बेझिझक अंधश्रद्धा से उत्पन्न अपराधों की रोकथाम कर सकें । इसके लिए सबसे पहले अंधश्रद्धा निर्मूलन एवं वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाले देश के विशेषज्ञों की सहायता से विभाग के लिए राज्य स्तरीय प्रशिक्षक तैयार किया जा रहा है जो विभाग में सभी स्तरों पर प्रशिक्षण देंगे । इसके लिए विशेष पाठ्यक्रम भी बनाया जा रहा है ।

प्रशिक्षु अधिकारियों को अंधश्रद्धा निर्मूलन कानूनों का प्रशिक्षण
पुलिस मुख्यालय द्वारा संचालित अभियान के अंतर्गत दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी चंदखुरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे 44 नव पुलिस उप अधीक्षकों और लगभग 300 सहायक उप निरीक्षकों को फ़ील्ड में पदस्थी से पूर्व ही अपराधों को प्रोत्साहित करने वाले अंधविश्वासों से लड़ने के लिए दक्ष बनाया जायेगा ताकि वे कानूनी प्रावधान यथा औषधि और जादू उपचार(आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम-1955,भारतीय दंड संहिता(धारा 420 एवं अन्य), छत्तीसगढ़ में विशेष तौर पर लागू टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम-2005 के पालन को सुनिश्चित कर सकें जिससे महिलाओं की सामाजिक प्रताड़ना, आर्थिक शोषण, ठगी आदि पर लगाम कसा जा सके ।

अंधविश्वास आधारित अपराधों के नियंत्रण हेतु अभियान – एक नज़र


विश्वरंजन
पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़

अभियान क्यों ?
ग्रामीण एवं आदिवासी अंचलों में निरक्षरता, परंपरागत सोच और तद्-केंद्रित जीवन दृष्टि, तर्क आधारिक मानसिकता के अभाव, वैज्ञानिक सत्यता की जानकारी के अभाव में आज भी कई तरह की अवैधानिक, अमानवीय व असामाजिक अंधविश्वास प्रचलित हैं । इनमें टोनही, डायन, झाड़-फूँक की आड़ में ठगी, धन दोगूना करने की चालाकियाँ, गड़े धन निकालना, शारीरिक, मानसिक आपदाओं को हल करने के लिए गंडे ताबीज, चमत्कारिक पत्थर एवं छद्म औषधियों का प्रयोग कर धन कमाना आदि प्रमुख हैं । इसके परिणाम स्वरूप महिला प्रताड़ना एवं हिंसा, धोखेबाजी से धन उगाही, चिकित्सा वर्जना के कारण असमय मृत्यु की घटनाओं की संभावना बढ़ जाती हैं, जो समाज के साथ-साथ पुलिस एवं कानून व्यवस्था के लिए चुनौतियाँ खड़ी करती हैं।

वर्तमान में अंधश्रद्धा के कारण समाज में उत्पन्न होनी वाली चुनौतियों और दुष्परिणामों की रोकथाम के लिए कई तरह के कानून प्रावधान भी लागू हैं यथा -औषधि और जादू उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम -1955,भारतीय दंड संहिता ( धारा 420 एवं अन्य), छत्तीसगढ़ में विशेष तौर पर टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम-2005 आदि । इसके बावजूद कानूनी प्रावधानों के व्यापक प्रचार-प्रसार का अभाव, सामाजिक एवं स्वयंसेवी हस्तक्षेप एवं पहल की कमी अंधविश्वास से उपजीं कई बड़ी ऐसी घटनाओं की सूचना पुलिस या प्रशासन तक पहुँच ही नहीं पाती जो मूलतः अवैधानिक एवं अमानवीय प्रकृति की होती हैं । इसमें ग्रामों में बैगा-गुनिया आदि के प्रभावी-पांरपरिक पकड़ जैसी नकारात्मक भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है । इन वैगाओं के प्रभाव एवं स्वयं ऐसे अंधश्रद्धा से ग्रसित होने के कारण ग्राम कोटवार भी ऐसे संभावित हादसाओं की गोपनीय सूचना पुलिस थानों में देने से बहुधा कतराते हैं । ऐसे में, इन संवेदनशील मुद्दों पर घटना के पूर्व औऱ घटना के बाद भी सम्यक कार्यवाही करने में पुलिस कमजोर हो जाती है ।

निष्कर्ष यही कि ऐसे अंधविश्वास न केवल निराधार एवं अवैज्ञानिक हैं बल्कि ये कई तरह अवैधानिक, असामाजिक, अमानवीय अपराधों के कारण भी हैं । ये अंधविश्वास पुलिस के समक्ष निरंतर कानूनी कार्यवाहियों की संभावना को कई कोणों से प्रोत्साहित करते हैं । एक ओर जहाँ, ऐसे अंधविश्वासों की आड़ में अपराध कारित होते हैं, दूसरी ओर ऐसे अपराधों को पारंपरिक मूल्यों के अनुरूप वैध ठहराकर गाँवों के प्रभु वर्गों द्वारा पुलिस को इससे दूर रखा जाता है ।

अतः इन परिस्थितियों के निपटने के लिए एवं अंधविश्वास के समूल निवारण हेतु सचेत एवं तत्पर कानूनी कार्यवाही के साथ-साथ एक सामाजिक अभियान भी आवश्यक है जिसे स्वयंसेवी आधार पर संचालित किया जा सकेगा ।

अभियान का लक्ष्य –
- राज्य में टोनही प्रथा के कारण होने वाले अपराध के दर को शून्य पर लाना ।
- राज्य में पुलिस विभाग के फील्ड अधिकारियों का उन्मुखीकरण ।
- राज्य में टोनही आदि अंधविश्वासों के बरक्स सामाजिक वातावरण तैयार करना ।
- टोनही आदि अपराधिक प्रवृति के खिलाफ मानव संसाधन को प्रशिक्षित कर दक्ष बनाना ।
- राज्य के सभी ग्रामों में टोनही सहित अंधविश्वास के खिलाफ वैज्ञानिक चेतना का प्रसार ।
- अपराधिक प्रवृति वाले अंधविश्वासों की रोकथाम के लिए कारगर सूचना नेटवर्क बनाना ।

अभियान की अवधि एक वर्ष ( 1 मार्च 2009 से 29 फरवरी 2010 )

अभियान की रूपरेखा –
राज्य स्तरीय पुलिस टास्क फ़ोर्स का गठन –
राज्य भर में टोनही आदि प्रचलित अंधविश्वासों को केवल कानूनी या पुलिस कार्यवाही से नियंत्रित नहीं किया जा सकता । इसके लिए चरणबद्ध और समयबद्ध स्वयंसेवी अभियान अधिक कारगर होगा, जिससे ऐसी अंधविश्वासों के ख़िलाफ सामाजिक वातावरण तैयार किया जा सके । इस अभियान का क्रियान्वयन राज्य स्तर पर गठित राज्य पुलिस टास्क फ़ोर्स द्वारा किया जायेगा। राज्य पुलिस टास्क फ़ोर्स के पदेन अध्यक्ष पुलिस महानिदेशक होंगे । राज्य स्तरीय पुलिस टास्क फ़ोर्स अभियान हेतु रणनीतियों का निर्धारण, संचालन, समीक्षा, मानिटरिंग, प्रोत्साहन, प्रेरणा एवं वांछित सहयोग उपलब्ध कराने का कार्य करेगा । यह टास्क फ़ोर्स पुलिस मुख्यालय में एक प्रकोष्ठ की तरह कार्य करेगा । इस टास्क फ़ोर्स में प्रमुख, राष्ट्रीय सेवा योजना प्रमुख, रेड क्रास सोसायटी, स्वयंसेवी चिकित्सक, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, विज्ञान-शिक्षक, रंगकर्मी, साहित्यकार एवं वरिष्ठ संपादक, महिला संगठनों की कार्यकर्ता आदि, जो स्वयंसेवी भाव से धीरे-धीरे जुड़ते जायेंगें, सम्मिलित हो सकेंगे । इस टास्क फोर्स में पुलिस अधिकारियों के अलावा उन स्वयंसेवी युवाओं को भी रखा जायेगा जो पूर्व में ऐसे किसी सामाजिक जन जागरण अभियानों में संबंद्ध रहे हों ।

जिला स्तरीय पुलिस टास्क फ़ोर्स का गठन –
जिले भर में अभियान के संचालन के लिए जिला स्तर पर एक पुलिस टास्क-फ़ोर्स का गठन किया जायेगा, जिसके पदेन अध्यक्ष संबंधित पुलिस अधीक्षक होंगे । यह टास्क फ़ोर्स जिला पुलिस कार्यालय में एक प्रकोष्ठ की तरह कार्य करेगा । इस प्रकोष्ठ को कार्यालयीन एवं अन्य आवश्यक संसाधन पुलिस अधीक्षक द्वारा उपलब्ध कराया जा सकेगा । इस टास्क फ़ोर्स का गठन पुलिस अधीक्षक करेंगे जिसमें प्रमुख रेडक्रास सोसायटी, स्वयंसेवी चिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ता, विज्ञान शिक्षक, शिक्षाविद्, रंगकर्मी, साहित्यकार एवं पत्रकार, महिला संगठनों की कार्यकर्ता आदि होंगे । इस टास्क फोर्स में अनिवार्यतः उन युवाओं को भी रखा जाये जो पूर्व में ऐसे किसी सामाजिक जन जागरण अभियानों में संबंद्ध रहे हों । (ऐसे सदस्य कों किसी भी राजनीतिक दल का अक्रिय या सक्रिय सदस्य नहीं होना चाहिए । ) पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला स्तरीय पुलिस टास्क फ़ोर्स के नियमित कार्यों को एक समन्वयक द्वारा संपादित किया जायेगा जिसका चयन पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला मुख्यालय में पदस्थ विभाग किसी योग्य एवं स्वयंसेवी अधिकारी में से किया जा सकेगा, जो अपने कार्यों के अलावा उक्त अभियान को गति देने में पुलिस अधीक्षक को सहयोग देंगे ।

अनुविभागीय/थाना स्तरीय पुलिस टास्क फोर्स का गठन –
अनुविभाग में आने वाले गाँवों में अभियान संचालन के लिए अनुविभागीय स्तर पर एक पुलिस टास्क-फ़ोर्स का गठन जिला पुलिस टास्क फोर्स की तरह किया जायेगा, जिसके पदेन अध्यक्ष संबंधित अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस होंगे । यह टास्क फ़ोर्स अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस कार्यालय में एक प्रकोष्ठ की तरह कार्य करेगा जिसे कार्यालयीन एवं अन्य आवश्यक संसाधन अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस के द्वारा उपलब्ध होगा । इसी तरह थाना स्तर पर पुलिस टास्क फ़ोर्स का गठन पुलिस अधीक्षक के मार्गनिर्देशन संबंधित थानेदार करेंगे । इन निचली इकाईयों में भी जिला स्तरीय टास्क फ़ोर्स की तरह स्वयंसेवी युवाओं को सम्मिलित किया जायेगा । ये टास्क फ़ोर्स अपने अपने क्षेत्रों में अभियान का क्रियान्वयन, संचालन, समीक्षा, मानिटरिंग एवं प्रोत्साहन कार्य करेगें।

टास्क फ़ोर्स के कार्य –
- अपने क्षेत्र में प्रचलित टोनही सहित ऐसे अन्य अंधश्रद्धाओं की पहचान करना जो कानूनी के समक्ष अवैधानिक या अप्रिय स्थितियों की संभावनाओं को बढ़ावा देती हैं ।
- प्रत्येक अंधश्रद्धा के समूल निराकरण हेतु वातावरण निर्माण के लिए अधिकतम् संभावित सामाजिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक, वैधानिक, शैक्षिक चिकित्सागत पहलों का आंकलन, क्षेत्र की वास्तविकताओं के अनुरूप रणनीतियों का निर्धारण एवं उनका चरण बद्ध ढंग से सम्यक क्रियान्वयन ।
- क्षेत्र में वैज्ञानिक यथार्थ, सामाजिक चेतना, कानूनी प्रावधानों, तर्काश्रित आस्था एवं विश्वास को प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियों का आयोजन, प्रचार-प्रसार एवं प्रोत्साहन एवं ऐसी स्वयंसेवी संगठनों को सहयोग।
- अभियान की नियमित मासिक समीक्षा बैठकों का आयोजन, आगामी गतिविधियों के संचालन हेतु दिशाबोध, नयी परिस्थितियों, अनुभवों, संभावनाओं के आधार पर नये कारगर क़दमों का निर्धारण ।
- अभियान क्रियान्वयन हेतु आवश्यक संसाधनों तथा उसकी पूर्ति के लिए जिलों में उपलब्ध एवं संभावित विभिन्न प्रकार के वांछित तथा उपयुक्त शासकीय/अशासकीय/सामाजिक/सांस्कृतिक/स्वयंसेवी ट्रस्टों, संगठनों के संसाधनों का सम्यक आकलन, संपर्क एवं दोहन (उदाहरण के तौर पर, टोनही प्रथा वाले ग्रामों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपचार शिविर, चिकित्सा परामर्श, ट्रिक्स एवं वैज्ञानिक सत्यों के प्रदर्शन के प्रशिक्षकों हेतु साक्षरता समिति से कार्यकर्ताओं का चिन्हाँकन, पंचायत विभाग के माध्यम से पंचायती राज कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण, चौपालों तथा ग्रामसभाओं में परामर्श, समाज कल्याण विभाग से कलापथक कलाकार, स्वयंसेवी कार्यकर्ता आदि)
- वैज्ञानिक ट्रिक्स का प्रशिक्षण, प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं ग्रामों में प्रायोगिक प्रदर्शन, कला जत्थों का आयोजन, बौद्धिक सभाओं का चरणबद्ध आयोजन, स्थानीय भाषा में कानूनी प्रावधानों का पोस्टर एवं पांप्लेट निर्माण कर ग्रामों के चौपालों में चस्पाकरण ।
- सभी प्रकार की मीडिया (आकाशवाणी, टीव्ही चैनलों, प्रिंट मीडिया, प्रबुद्ध साहित्यकारों, नृत्य मंडलियों, रामायण मंडलियों, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख आदि) का व्यापक समर्थन प्राप्त करना।
- टोनही एवं ऐसे अंधश्रद्धा केंद्रित कुरीतियों को रोकने में सर्वोत्कृष्ट एवं कारगर भूमिका निभाने वाले पुलिस कर्मी, स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं, अधिकारियों का चिन्हांकन 26 जनवरी, 15 अगस्त आदि महत्वपूर्ण अवसरों पर सार्वजनिक सम्मान एवं पुरस्कार।
- टोनही, टोना, जादूगरनी आदि के कथित आरोप से पीड़ित परिवार, महिला-पुरुष का गोपनीय सूचना एकत्र करना, उन्हें घटना पूर्व पूर्ण कानूनी सहयोग एवं उनके सामाजिक बचाव के लिए सभी उपायों का सतर्क अनुप्रयोग
- अंधश्रद्धा फैलाकर समाज में अवैज्ञानिक, अमानवीय, असामाजिक वातावरण बनाने वाले तथा द्रव्य एवं रूपये कमाने वाले धूर्त बैगा, गुनिया, टोनहा की गोपनीय सूची तैयार करना । उन्हें टास्क फोर्स की निचली इकाइयों के द्वारा समझाइस देना । ऐसे ग्रामों में ( खासकर हाट बाजार के दिन भी )वैज्ञानिक ट्रिक्स से प्रशिक्षित टीम द्वारा प्रदर्शनों का आयोजन सुनिश्चित करवाना ।
- इसके अलावा जिला टास्क फोर्स अपने स्तर पर आपसी विचार-विमर्श से अन्य कार्यों, रणनीतियों का निर्धारण कर सकेगा ।

वैज्ञानिक चेतना के प्रसार हेतु स्वयंसेवी युवकों का चयन एवं प्रशिक्षण –
वैज्ञानिक चेतना के प्रसार, टोनही एवं अन्य अंधविश्वासों की वास्तविकता से परिचित कराने, उसके आधार पर टोने-टोटकों के छद्मों का पर्दाफाश करने हेतु प्रत्येक स्तर पर प्रशिक्षित स्वयंसेवी युवकों की एक टीम होगी । यह त्रिस्तरीय टीम राज्य, जिला फोर्स, अनुविभाग/थाना स्तरीय टास्क फोर्स के संयोजन में कार्य करेगी । विशेष तौर पर यह टीमें पुलिस टास्क फ़ोर्स के मार्गनिर्देशन में गाँवों में वैज्ञानिक चेतना हेतु प्रायोगिक प्रदर्शन करेंगी। इन स्वयंसेवियों को कई दशकों से कार्यरत नागपुर की स्वयंसेवी संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निवारण समिति द्वारा प्रशिक्षित किया जा सकेगा । इन्हें प्रशिक्षित कराने का उत्तरदायित्व एवं आवश्यक संसाधन पुलिस राज्य/जिला/अनुविभागीय पुलिस टास्क फोर्स मुहैया करायेगी ।
राज्य स्तर पर –
राज्य स्तर पर 25 मुख्य स्त्रोत प्रशिक्षकों होंगे । ऐसे मुख्य स्त्रोत प्रशिक्षकों का चयन पुलिस महानिदेशक द्वारा राज्य पुलिस टास्क फोर्स के संयोजन में किया जायेगा । ये सभी ऐसे युवा चिकित्सक, स्वयंसेवी संगठनों के युवा कार्यकर्ता, पुलिस विभाग के योग्य अधिकारी, विज्ञान प्रचारक, पत्रकार आदि हो सकते हैं, जिन्हें स्वयंसेवी आधार पर यह प्रशिक्षण दिया जा सकेगा तथा ये आवश्यकतानुसार अन्य स्तर पर आवासीय प्रशिक्षण का आयोजन एवं अंधविश्वास के निवारण की मानिटरिंग आदि कार्यों में स्वतः स्फूर्त होकर अपना योगदान दे सकेंगे ।

जिला स्तर पर-
जिला स्तर पर 10-10 मास्टर पर्सन्स होंगे । ऐसे मास्टर ट्रेनर्स का चयन जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला पुलिस टास्क फोर्स के संयोजन में किया जायेगा । ऐसे मास्टर्स ट्रेनर्स का चयन स्वयंसेवी आधार पर कार्य करने वाले सामाजिक संस्थाओं के समर्पित युवा कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं इच्छुक पुलिस कर्मियों में से ही किया जा सकेगा । इन्हें राज्य स्तर पर आयोजित 2-2 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षित किया जायेगा । इस तरह से कुल 190 मास्टर ट्रेनर्स जिलों के लिए तैयार होंगे । जो ग्राम्य स्तर पर चयनित 1-1 युवाओं को जिला स्तर पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षित करेंगे एवं उनके साथ मिलकर जिलों के सभी गाँवों में टोनही सहित अन्य प्रचलित अंधविश्वासों के निर्मूलन में पुलिस की मदद करेंगे ।

अनुविभागीय स्तर पर-
प्रत्येक अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस अपने अधीन थानों के अंतर्गत अनुविभाग स्तर पर भी 10-0 ट्रेनरों का चयन करेंगे जिन्हें राज्य स्तर पर प्रशिक्षित एवं जिला स्तर के मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षित करेंगे । ऐसे अनुविभाग स्तरीय ट्रेनर्स का चयन अनुविभागीय पुलिस टास्क फोर्स के संयोजन में स्वयंसेवी आधार पर कार्य करने वाले सामाजिक संस्थाओं के समर्पित युवा कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं इच्छुक पुलिस कर्मियों में से ही किया जा सकेगा । अनुविभाग स्तर के ऐसे ट्रेनर्स जिला स्तरीय ट्रेनर्स के साथ अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले थानों के अधीन प्रत्येक ग्रामों से 1-1 स्वयंसेवी, वैज्ञानिक चेतना पर विश्वास करने वाले शिक्षित युवाओं को उन आवासीय प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षित करने में मदद करेंगे, जो थाना स्तर पर होगा ।

थाना स्तर पर –
प्रत्येक ग्राम से 1-1 स्वयंसेवी कार्यकर्ता होंगे । ऐसे प्रत्येक स्वयंसेवी कार्यकर्ता का चयन अंतिम रूप से थानेदार थाना स्तरीय टास्क फोर्स के संयोजन से कर सकेंगे । ग्राम वार नामों का लिखित प्रस्ताव कोटवार एवं प्रधान अध्यापक प्राथमिक शाला या माध्यमिक शाला देंगे । ऐसे स्वयंसेवी कार्यकर्ता का चयन करते वक्त कोटवार एवं प्रधान अध्यापक सुनिश्चित करेंगे कि वह न्यूनतम (आदिवासी क्षेत्रों में) आठवीं उत्तीर्ण हो, या अधिकतम मेट्रिक उत्तीर्ण हो । उसे सामाजिक कायों पर निःस्वार्थ और बिना पारिश्रमिक के अपने गाँव के सामाजिक उत्थान के लिए विश्वास हो । उसे विज्ञान पर विश्वास हो और वह टोनही आदि अंधविश्वास के ख़िलाफ़ कार्य करने की रूचि रखता हो । चूंकि अनुविभागीय स्तर पर ग्रामों की संख्या अधिक होगी अतः यह प्रशिक्षण थाना स्तर या विकास खंड स्तर पर होगा ।

इस तरह से राज्य के प्रत्येक ग्राम के लिए एक स्वयंसेवी युवा को प्रशिक्षित किया जायेगा जो अपने स्तर पर अंधविश्वास के निवारण के लिए न केवल वैज्ञानिक चेतना का संचार करेंगे बल्कि ग्राम स्तर पर ऐसे तत्वों को समझाइस भी देने में सक्षम हो सकेंगे। ऐसे स्वयंसेवियों से अपेक्षा भी रहेगी कि वे ऐसी संभावित घटनाओं की पूर्व सूचना भी सीधे थानेदार को दे सकेंगे । इनके चिन्हांकन के लिए थानेदार/पुलिस उप अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रशिक्षणोपरांत संतुष्ट होने पर परिचय पत्र भी दिया जा सकेगा ।

पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली के दृष्टिकोण से भविष्य में ऐसे युवकों को (उनकी सामाजिक भूमिका के स्तर पर योग्यता और प्रदर्शन पर विचार करते हुए) अन्य राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक महत्व के विषयों पर भी संसूचना हेतु उपयोग मे लाया जा सकता है, ताकि ऐसी आसन्न समस्याओं का पूर्व आंकलन किया जा सके जो पुलिस विभाग के लिए ज़रूरी हों । जैसे नक्सली समस्या, जुआ, जाली नोट का प्रचलन, शराब एवं मादक द्रव्यों का अवैध व्यापार आदि ।

अभियान के अंतर्गत वर्ष भर जिलों में विभिन्न गतिविधियाँ
01. पुलिस विभाग के फील्ड अधिकारियों, थानेदारों का उन्मुखीकरण ।
02. यथासंभव सभी ग्रामों में एक बार वैज्ञानिक ट्रिक्स प्रदर्शन, बौद्धिक सभा का आयोजन ।
03. कोटवार द्वारा प्रत्येक माह गाँव भर में टोनही निरोधक कानून आदि की मुनादी करना ।
04. कोटवार द्वारा कथित टोनही और बैगा आदि की गोपनीय सूची थानों को सौपना ।
05. प्रत्येक ग्रामों में पोस्टर, पाम्पलेट का वितरण एवं चौपालों पर चस्पा करना ।
06. कला जत्था दल द्वारा प्रमुख ग्रामों में जन जागरण अभियान हेतु प्रस्तुति ।
07. थानेदार द्वारा पंचायत के सहयोग से घटना संभावित ग्रामों में समझाईस बैठकों का आयोजन ।
08. ग्राम पंचायतों द्वारा हर ग्राम में टोनही विरोधी बैठक एवं ग्राम सभाओं का आयोजन ।
09. माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जिला, जनपद, ग्राम पंचायत प्रमुखों को अपील पत्र जारी करना ।
10। त्रिस्तरीय पंचायत के अध्यक्षों, विधायकों, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों की ओर से अपील
11। मुख्य सचिव की बैठक में कलेक्टरों को ऐसे अभियान मे संपूर्ण सहयोग का दिशाबोध देना ।
12. स्कूलों द्वारा टोनही एवं अंधविश्वास विरोधी रैलियों, प्रभात फेरियों, प्रतियोगिताओं का आयोजन ।
13. प्रत्येक जिले में एनसीसी/एनएसएस द्वारा ग्रामों में शिविरों का आयोजन ।
14. कृषि विभाग किसान मेलों में व सभा आयोजित कर टोनही विरोधी कानून की जानकारी देना ।
15. नेहरू युवा केंद्र को अभियान के लिए प्रेरित करना एवं उन्हें टास्क सौपना ।
16. आँगन बाड़ी केंद्रों में महिलाओं को ऐसी कुरीतियों के विरूद्ध सशक्त करने की वार्षिक रणनीति तैयार कर कार्य करना ।
17. मीडिया के सभी माध्यमों को उत्प्रेरित कर दोहन ।
18. टोनही आदि अंधविश्वासों के कारण होने वाले अपराधों के दर को शून्य पर लाना ।
19. उच्च प्रदर्शन करने वाले स्वयंसेवी अधिकारियों, कार्यकर्तोओं का सम्मान ।

अभियान हेतु निर्धारित समय-सारिणी
01. राज्य टास्क फ़ोर्स का गठन, बैठक, कार्ययोजना निर्धारण- 28 फरवरी, 2009
02. जिला टास्क फ़ोर्स का गठन, बैठक, कार्ययोजना निर्धारण- 5 फरवरी, 2009
03. अनुविभागीय टास्क फ़ोर्स का गठन, बैठक, कार्ययोजना निर्धारण- 10 फरवरी, 2009
04. थाना टास्क फ़ोर्स का गठन, बैठक, कार्ययोजना निर्धारण- 10 फरवरी, 2009
05. ग्राम स्तर पर स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं का चयन – 28 फरवरी, 2009
06. राज्य स्तर पर वैज्ञानिक ट्रिक्स प्रशिक्षण कार्यशाला – 1-2 मार्च, 2009
07. जिला स्तर पर वैज्ञानिक ट्रिक्स प्रशिक्षण कार्यशाला – 10-12 मार्च, 2009
08. अनु. स्तर पर वैज्ञानिक ट्रिक्स प्रशिक्षण कार्यशाला– 20-21 मार्च, 2009
09. थाना स्तर पर वैज्ञानिक ट्रिक्स प्रशिक्षण कार्यशाला– 25-26 मार्च, 2009
10. राज्य में अंधविश्वास निवारण अभियान का शुभांरभ – 1 अप्रैल, 2009
11. अभियान के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों का संचालन – 31 मार्च, 2010 तक
(टीपः- आवश्यकतानुसार अभियान की अविधि बढ़ायी जा सकेगी)