भूमकाल स्मृति दिवस - नक्सलियों के विरुद्व आदिवासियों का आक्रोश




रायपुर। 10 फरवरी । बस्तर क्षेत्र के सर्व आदिवासी समाज के लोगों द्वारा दिनॅाक 10 फरवरी को भूमकाल दिवस की 100 वीं वर्षगांठ मनाई गई। देश की आजादी के लिए अँग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ने वाले शहीद गुंडाधूर, डेवरीधुव एवं अन्य सभी शहीद आदिवासियों को श्रंदाजलि देने हेतु प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाया जाता है परंतु सत्य यह है कि अँग्रेजी हुकुमत के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले आदिवासियों को 100 वर्ष बाद भी हत्यारे एंव लुटेरे नक्सलियों के खिलाफ संघर्ष करना पड़ रहा है।

बस्तर पुलिस अधीक्षक पी. सुंदरराज ने बताया है कि इस वर्ष जगदलपुर में आयोजित किये जा रहे भूमकाल स्मृति दिवस के कार्यक्रम में नक्सलियों के खिलाफ आदिवासी वर्ग के लोगों का आक्रोश एवं नाराजगी देखने को मिली। बस्तर पुलिस ने विगत कुछ महीनों से जन जागरण अभियान के माध्यम से नक्सलियों के असली चेहरे को उजागर किया है। नक्सलियों द्वारा निर्दोष आदिवासियों को मुखबीर होने के शक के आधार पर हत्या करना, आदिवासी बच्चों के आश्रम/स्कूल को तोड़फोड़ करना, आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए बनाई जाने वाली रोड एवं सड़कों को क्षतिग्रस्त करना, आदिवासी बालक/बालिकाओं को जबरन अपने साथ ले जाकर उन्हें हथियार पकड़ाना इत्यादि जन विरोधी हरकतों से तंग आकर बस्तर क्षेत्र के आदिवासी धीरे-धीरे नक्सलियों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे है।

पिछले महीने नारायणपुर क्षेत्र में दो निर्दोष आदिवासी बच्चों को नक्सलियों द्वारा बिना किसी कारण के मारे जाने से बस्तर क्षेत्र की जनता द्वारा नक्सलियों के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया गया। इस सिलसिले में आज भी भूमकाल स्मृति दिवस कार्यक्रम में कई स्थानों पर नक्सलियों के विरोध में बैनर, पोस्टर देखने को मिले। इन सभी धटनाक्रमों को देखते हुए बस्तर पुलिस एवं बस्तर की जनता विश्वास करती है कि दिशाहीन एवं विचारविहीन नक्सलियों का खात्मा जल्दी से जल्दी होगा।

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