धमतरी में नक्सलियों का प्रिंटिग प्रेस जब्त

रायपुर । 17 फरवरी । पड़ोसी जिले धमतरी में कल नक्सलियों द्वारा संचालित स्क्रीन प्रिंटिग प्रेस जब्ती की गई है । इसके साथ ही एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है । पुलिस महानिदेशक के निर्देशन में चलाये जा रहे नक्सल विरोधी अभियान के तहत धमतरी पुलिस को उस समय एक बड़ी सफलता मिली जब जिला पुलिस बल, सीएएफ, एसटीएफ की संयुक्त दल गश्त पर 16 फरवरी को नियमित सर्चिंग के दौरान खुदुरपानी, भैंसामुडा की जंगल से गुज़र रही थी ।

पुलिस अधीक्षक शेख आरिफ हुसैन ने जानकारी दी है कि खुदुरपानी में मुखबिर द्वारा सूचना दी गई कि ग्राम धौराभाठा निवासी चरणसिंह कमार पिता सुखुराम के घर में नक्सलियों का प्रिंटिग प्रेस का सामान व विस्फोटक रखा हुआ है । संयुक्त सर्चिंग दल के द्वारा उक्त स्थान पर छापा मार कर चरण कमार के कब्जे पर घर के ऊपरी पटाव से एक प्लास्टिक बोरी में रखे प्रिंटिग का सामान, स्याही, थिनर, चम्मच, स्प्रे बोतल, प्लग बत्ती, प्रिंटिंग कपड़ा, वेक्स, फिक्सिंग क्लेम्प, टेप, सेलो टेप, कैंची, वायर, कारतूस, बारूद, डेटोनेटर, नक्सली साहित्य व पर्चे जब्त किया गया । आरोपी चरणसिंह कमार धौराभाठा के विरूद्ध अपराध क्रमांक 24/10, धारा भा।द.वि, 16, 18, 38 (2), 39 (2) विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम कायम कर विवेचना मे लिया गया है ।

पुलिस महानिदेशक ने संयुक्त दल की उक्त कार्यवाही की प्रशंसा करते हुए आम जनता से नक्सल विरोधी अभियान मे जनसहयोग की अपील की है ।

९ आई. पी. एस. बदले

रायपुर. 11 फरवरी. सरकार ने गुरूवार को 3 पुलिस अधीक्षक, एक महानिरीक्षक समेत नौ पुलिस अधिकारियों के तबादले किए हैं. इनमें पुलिस मुख्यालय में पदस्थ 3 अधिकारियों के प्रभार भी बदले गए हैं. गुरूवार शाम गृह विभाग से जारी आदेशानुसार चांपा-जांजगीर, कोरबा एवं राजनांदगांव में नए पुलिस अधीक्षक पदस्थ किए गए हैं. आदेशानुसार चांपा-जांजगीर के अधीक्षक एस.के. झा को सहायक पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय रायपुर, डॉ. आनंद छाबड़ा, सहायक पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय रायपुर को पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा, रतनलाल डांगी, पुलिस अधीक्षक कोरबा को राजनांदगांव और पी.के. दास पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव को पुलिस अधीक्षक कोरबा के पद पद पदस्थ किया गया है. इसी तरह से आनंद तिवारी पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय रायपुर को पुलिस महानिरीक्षक प्रशिक्षण के पद पर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया है. श्री आर.के. विज पुलिस महानिरीक्षक योजनाप्रबंध, पुलिस मुख्यालय रायपुर को उनके कार्यों के साथ-साथ 'प्रशासन' का भी प्रभार दिया गया है. श्री राजेश मिश्रा, पुलिस महानिरीक्षक छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, नक्सल ऑपरेशन, पुलिस मुख्यालय रायपुर को पुलिस महानिरीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग, पुलिस मुख्यालय में पदस्थ करते हुए यातायात, रेल एवं नक्सल ऑपरेशन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. आर.सी. पटेल पुलिस महानिरीक्षक, सरगुजा रेंज अम्बिकापुर को पुलिस महानिरीक्षक लोक अभियोजन संचालनालय रायपुर में पदस्थ किया गया है. पी.एन. तिवारी पुलिस महानिरीक्षक अअवियातायातरेल पुलिस को पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज में पदस्थ किया गया है.

भूमकाल स्मृति दिवस - नक्सलियों के विरुद्व आदिवासियों का आक्रोश




रायपुर। 10 फरवरी । बस्तर क्षेत्र के सर्व आदिवासी समाज के लोगों द्वारा दिनॅाक 10 फरवरी को भूमकाल दिवस की 100 वीं वर्षगांठ मनाई गई। देश की आजादी के लिए अँग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ने वाले शहीद गुंडाधूर, डेवरीधुव एवं अन्य सभी शहीद आदिवासियों को श्रंदाजलि देने हेतु प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाया जाता है परंतु सत्य यह है कि अँग्रेजी हुकुमत के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले आदिवासियों को 100 वर्ष बाद भी हत्यारे एंव लुटेरे नक्सलियों के खिलाफ संघर्ष करना पड़ रहा है।

बस्तर पुलिस अधीक्षक पी. सुंदरराज ने बताया है कि इस वर्ष जगदलपुर में आयोजित किये जा रहे भूमकाल स्मृति दिवस के कार्यक्रम में नक्सलियों के खिलाफ आदिवासी वर्ग के लोगों का आक्रोश एवं नाराजगी देखने को मिली। बस्तर पुलिस ने विगत कुछ महीनों से जन जागरण अभियान के माध्यम से नक्सलियों के असली चेहरे को उजागर किया है। नक्सलियों द्वारा निर्दोष आदिवासियों को मुखबीर होने के शक के आधार पर हत्या करना, आदिवासी बच्चों के आश्रम/स्कूल को तोड़फोड़ करना, आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए बनाई जाने वाली रोड एवं सड़कों को क्षतिग्रस्त करना, आदिवासी बालक/बालिकाओं को जबरन अपने साथ ले जाकर उन्हें हथियार पकड़ाना इत्यादि जन विरोधी हरकतों से तंग आकर बस्तर क्षेत्र के आदिवासी धीरे-धीरे नक्सलियों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे है।

पिछले महीने नारायणपुर क्षेत्र में दो निर्दोष आदिवासी बच्चों को नक्सलियों द्वारा बिना किसी कारण के मारे जाने से बस्तर क्षेत्र की जनता द्वारा नक्सलियों के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया गया। इस सिलसिले में आज भी भूमकाल स्मृति दिवस कार्यक्रम में कई स्थानों पर नक्सलियों के विरोध में बैनर, पोस्टर देखने को मिले। इन सभी धटनाक्रमों को देखते हुए बस्तर पुलिस एवं बस्तर की जनता विश्वास करती है कि दिशाहीन एवं विचारविहीन नक्सलियों का खात्मा जल्दी से जल्दी होगा।

नक्सली दुष्प्रचार से निपटने हर जिले में पुलिस की प्रदर्शनी



रायपुर । छत्तीसगढ़ पुलिस अब माओवादी-नक्सलियों द्वारा किये जा रहे प्रजातांत्रिक इकाईयों, शासन,पुलिस व अर्धसैनिक बल के विरुद्ध लगातार दुष्प्रचार से निपटने के लिए कमर कर चुकी है । नक्सलियों के भ्रामक एवं तथ्यरहित दुष्प्रचार अभियान के विरूद्ध जनजागरण के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा राज्य भर में नक्सलविरोधी प्रचार अभियान शुरू किया जा रहा है ताकि नक्सली हिंसा की वास्तविकता से सामान्य जनता परिचित हो सकें । पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन द्वारा इसकी जिम्मेदारी सभी पुलिस अधीक्षकों एवं संबंधित डीआईजी एवं आईजी को सौंपी गई है । सभी जिलों में नक्सलविरोधी प्रदर्शनी का आयोजन हेतु पुलिस महानिदेशक द्वारा एक राज्य स्तरीय आयोजन समिति का गठन भी किया गया है जिसमें ओ.पी.पाल, जी.एल.बाम्बरा, जे.पी. रथ, सुरेन्द्र वर्मा, अमर सिंह व कमलेश को रखा गया है । प्रथम चरण में सभी जिला मुख्यालय स्तर पर दो दिवसीय नक्सलविरोधी प्रदर्शनी लगायी जा रही है जिसमें नक्सली हिंसा, दमन एवं विध्वंस की तस्वीरें, स्लोगन, कविता-पोस्टर आदि प्रदर्शित होंगे । प्रदर्शनी की मुख्य सामग्री पुलिस मुख्यालय स्तर से जिलों में भेजी जा रही है। इसके अलावा हुए जिला स्तर पर भी स्लोगन और कविता पोस्टर, (हिन्दी, छत्तीसगढ़ी सहित स्थानीय भाषा में) तैयार कर उक्त प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जायेगा । नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिस अधिकारियों की तस्वीरें भी प्रदर्शनी स्थल पर लगायी जायेगी । इस अवसर पर महाविद्यालयीन, शालेय स्तरीय नक्सलवाद विरोधी कविता, निबंध प्रतियोगिता का आयोजन प्रदर्शनी स्थल पर किया जायेगा । यह प्रदर्शनी अम्बिकापुर 9-10 दिसम्बर, जशपुर 13-14 दिसम्बर, रायगढ़17-18 दिसम्बर, कोरबा 20-21 दिसम्बर, बिलासपुर 27-28 दिसम्बर, दुर्ग 3-4 जनवरी, 2010 राजनांदगाँव 5-6 जनवरी, जगदलपुर 9-10 जनवरी, दंतेवाड़ा 12-13 जनवरी को आयोजित की जायेगी ।

पुलिस मुख्यालय में कौमी दिवस संपन्न

रायपुर । आज पुलिस मुख्यालय में कौमी दिवस का आयोजन किया गया जिसमें सभी वरिष्ठ अधिकारियों सहित कर्मचारियों ने भाग लिया । उक्त अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री रामनिवास ने उपस्थित प्रतिभागियों को देश की आज़ादी, एकता तथा संवैधानिक तरीकों से सभी शिकायतों के निपटारा करने की शपथ दिलायी । उक्त अवसर पर मुख्यालय के सभी आईजी, डीआईजी, एआईजी आदि उपस्थित थे ।

मानव अधिकार आयोग चिंतित

रायपुर । राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली ने छत्तीसगढ़ राज्य में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दरमियान नक्सलियों द्वारा एक पुलिस अधीक्षक सहित 30 पुलिस कर्मियों के मारे गए जाने को चिंताजनक घटना निरूपति करते हुए कहा है कि हत्यारों के खिलाफ शीघ्र कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। ज्ञातव्य हो नक्सलियों ने अंबुश में फँसाकर २९ जांबाज पुलिस अधिकारी के साथ राजनांदगाँव के पुलिस अधीक्षक श्री चौबे को अपना शिकार बना लिया था ।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, दिल्ली के महासचिव श्री अखिल कुमार जैन ने छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव श्री पी। जे. ओमेन को भेज अपने पत्र में कहा है कि यह इनकार नहीं किया जा सकता है कि राज्य के लिए उपलब्ध कानून के तहत पुलिस के लंबे हाथ हैं और इस तरह अपने नागरिकों के मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का शासन लागू करने के कार्य में लगे हुए है और इस तरह से पुलिस कर्मी खुद अपने ही जीवन को उच्च जोखिम में रखकर राज्य के नागरिकों और संपत्ति की रक्षा कर रहे हैं ।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पुलिस कर्मियों तथा अर्द्धसैनिक बलों द्वारा राज्य की सुरक्षा बनाए रखने में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है और नक्सली आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों तथा पीड़ितों के परिवारों के लिए पर्याप्त क्षतिपूर्ति के लिए तत्काल और उचित उपाय करने के लिए जरूरत की एक गंभीर याद दिलाता है ।

सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर इस आयोग द्वारा पुलिस के कामकाज की स्थिति में सुधार किए जाने के उपायों, उनके काम के घंटे सहित - की सिफारिश की गई है - जो विश्वास पैदा करते हैं कि वे नागरिकों के जीवन और उनके मानव अधिकारों की रक्षा में लगे हुए हैं । ऐसे पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों के उनके अधिकारों को भी राज्य द्वारा विधिवत संबोधित किया जाए ।

आयोग ने उम्मीद जताया है कि नक्सलियों द्वारा मार डाले गये पुलिस कर्मियों के परिवार सभी देशवासियों की सहानुभूति के लायक है और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा और गंभीर रूप से घायलों को पर्याप्त वित्तीय सहायता दी जाएगी ।

नक्सली घटना की देश भर के लेखकों ने की तीव्र भर्त्सनानक्सली घटना की देश भर के लेखकों ने की तीव्र भर्त्सना


रायपुर । छत्तीसगढ़ में बढ़ते हुए नक्सली घटना की भर्त्सना करते हुए देश भर के लेखकों ने मदनवाड़ा के नक्सली एंबुश में मारे गये शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि दी है । प्रख्यात कवि और आलोचक अशोक बाजपेयी ने कहा है कि इस समय नक्सलियों द्वारा कई राज्यों में लगातार जो हिंसा हो रही है उसके बारे में तमाम क्रांति धर्मी लेखक चुप्पी क्यों साधे हुए हैं यह समझ में आना कठिन है । वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति की परंपरा में ही यह चुप्पी है । 20वीं शताब्दी में हम देख आये हैं कि हिंसा और हत्या से सच्ची क्रांती नहीं होती और अगर उसके होने का कुछ देर के लिए भ्रम हो भी जाये तो उसकी परिणति भी देर सवेर हिंसा और हत्या में हीं होती है । प्रख्यात कवि चंदकांत देवताले, उज्जैन हिंसा के सभी आयामों पर प्रतिबंध लगाने की अपील करते हुए कहा है कि मौत से प्राप्त की जानेवाले सत्ता का अंत अततः मौत में होती है, वहाँ विकास मायने नहीं रखता । नक्सलवाद की जड़ों में जाकर ही इसका हल निकाला जा सकता है । केवल हिंसक वारदातों से नहीं । कोच्चि, केरल के प्रख्यात लेखक ए। अरविंदाक्षन ने मदनवाड़ा की घटना को विकास विरोधी लोगों और संगठित अपराधियों की करतूत निरूपित करते हुए कहा कि सत्ता के लिए जब भी कोई वाद या दल हिंसा का सहारा लेने लगता है वह उसी समय से लक्ष्यच्यूत हो जाता है । लोगों का विश्वास उससे किंचित भी नहीं रह जाता है । आदिवासियों के विकास के बहाने से हिंसा को कभी भी और किसी भी दृष्टि से तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए । जयपुर के गांधीवादी लेखक नंदकिशोर आचार्य ने नक्सलियों के करतूत को अहिंसा के ख़िलाफ़ और लक्ष्य से भटके हुए ऐसा हितैषी निरूपित किया है जिसे अपने लक्ष्य के अलावा अन्य सभी गतिविधियों पर ही रूचि रह गई है । मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के प्रमुख और साक्षात्कार के संपादक डॉ। देवेन्द्र दीपक ने नक्सवाद को प्रजा विरोधी अवधारणा बताते हुए विश्व आंतकवाद का एक पहलू बताया है । उन्होंने कहा है कि ऐसे हिंसक तत्वों को अस्त्र शस्त्र पहुंचाने में जिनका हाथ है उनकी भी ख़बर ली जानी चाहिए । ऐसी समस्यायें केवल राज्य, व्यवस्था के लिए ही नहीं समूची मानव जाति के लिए भी अहितकर हैं । विडम्बना कि ऐसे विचारों के प्रति भी कुछ विघ्नसंतोषी मीडियाबाज सहानुभूति रख रहे हैं, अब समय आ गया है कि ऐसे तत्वों की पहचान भी राज्य सरकारें करें । धर्मयुग के पूर्व उप संपादक मनमोहन सरल, मुंबई ने कहा है कि छत्तीसगढ़ और साथ ही लालगढ़ की नक्सली हिंसा इस स्वरूप की भर्त्सना करते हुए मैं यह सोचता हूँ कि हमें इस समय की गहराई तक जाना चाहिए । असंतोष के कारणों की मीमांसा करनी चाहिए । केवल दमन से ही समस्या का फौरी हल भले ही हो जाये पर बिना इसके मूल तक जाये इसका स्थायी समाधान नहीं हो सकता । प्रयास इसी दिशा में करने होंगे । चर्चित आलोचक द्वय श्री भगवान सिंह, भागलपुर और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक कृष्ण मोहन ने नक्सलियों द्वारा मदनवाड़ा में किये हिंसा को मनुष्य समाज के खिलाफ़ एक जघन्य षडयंत्र निरूपित करते हुए उन पर तत्काल कड़ाई से राज्य और केंद्र सरकार को निपटने का आग्रह किया है । ऐसी घटनाओं को हर विचार, हर कोण, हर दृष्टि से निंदनीय ही माना जाना चाहिए । यदि ऐसी घटनाओं को किन्ही उथले विचार के सहारे समर्थन मिलता है तो वह देश, समाज और समय के खिलाफ ही जायेगा । प्रख्यात आलोचक और कवि प्रभात त्रिपाठी, रायगढ़ ने अपने विचार रखते हुए कहा है कि प्रजातंत्र का विकल्प कोई भी हिंसक तंत्र नहीं हो सकता अतः नक्सलवाद मूलतः अपने लक्ष्य के साधनों की विश्वसनीयता खो चुका है । ऐसी घटनाओं को अराजक आक्रोश और मानवविरोधी माना जाकर उनका पूर्ण मनोयोग से जनता को जबाव देना ही होगा । शिरीष कुमार मौर्य, कवि, नैनीताल ने लिखा है कि मैं ऐसी किसी भी घटना का पुरजोर विरोध करता हूँ। विचार कहीं पीछे छूट रहा है और उसके नाम पर इस तरह का जो कुछ भी घट रहा है वह खेदजनक है। मृतकों को मेरी श्रद्धांजलि । प्रख्यात लेखक डॉ। हरि जोशी, इंदौर ने कहा है कि मदनवाड़ा की घटना को मुंबई में हुए आतंकी हमला से कम नहीं समझा जाना चाहिए । राजनांदगाँव के अपराधियों को कठोरता से जल्द से जल्द दंडित किया जाना चाहिए। रायगढ़ के कवि और आलोचक डॉ. बलदेव ने कहा है कि यह मात्र राज्य सरकार की समस्या नहीं । यह केवल पुलिस की ड्यूटी नहीं कि वह आपके छत्तीसगढ़ को नक्सली विपदाओं से मुक्त बनाये रखे । यह वक्त निर्णय लेने की घड़ी है कि आप किसका वरण करना चाहते है ? माओवादी हिंसक तंत्र का या प्रजातंत्र का । अब पानी सिर से उतर चुका है । हर बच्चा बोले, हर युवक बोले, माँएं बोले, रिक्शावाला बोले, किसान बोले, मज़दूर बोले, अधिकार बोले। बोलें कि बस्स बहुत हो चुका, सिर्फ़ पुलिस ही नहीं लड़ेगी हम लडेंगे भी और नक्सलवादियों के ख़िलाफ़ बोलेंगे भी सुशील कुमार, साहित्यकार, दुमका, झारखंड का मानना है कि नक्सली अब आंतकी का रूप ले रहे हैं। ये समाज और राष्ट्र के उसी तरह दुश्मन भी बन गये हैं। इनकी न सिर्फ़ भर्त्सना, बल्कि खात्मा के लिये सरकार और जनता, दोनों को आगे आना होगा। नक्सली अब उसी ऐशोआराम में जी रहे हैं जिस प्रकार शोषक वर्ग रहा करते हैं/थे। इनके भी बच्चे अब बड़े स्कूलों में पढ़ते हैं। इनका भी काफ़ी बैंक-बैलेन्स होता है। अत: नक्सलवाद अब जनांदोलन नहीं, पेट पालने का धंधा भी है।अब हमें ये उल्लू नहीं बना सकते। आचार्य संजीव सलील, संपादक, नर्मदा, जबलपुर का विचार है कि नक्सलवाद वैचारिक रूप से पथ से भटके हिंसावादी हैं, जो किसी नीति-न्याय में विश्वास नहीं करते। शासन और प्रशासन को योजना बनाकर इन्हें समूल नष्ट कर देना चाहिए। ये न तो उत्पीडित हैं, न किन्ही सामाजिक अंतर्विरोधों का प्रतिफल। कुछ बुद्धिजीवी अपनी सहानुभूति देकर इन्हें पनपाते हैं ।

ये पौराणिक राक्षसों के आधुनिक रूप हैं जो अन्यों के मानवाधिकारों की रोज हत्या करते हैं और जब मरने लगते हैं तो खुद के मानवाधिकार की दुहाई देते हैं। आपनी साथी महिलाओं से बलात्कार करने में इन्हें संकोच नहीं होता। हिंसा पंथी कहीं भी, किसी भी रूप में हों, समूल नष्ट किये जाएँ। इनकी हर गोले का उत्तर सिर्फ और सिर्फ गोली से दिया जाना ज़ुरूरी है। सामान्य न्याय व्यवस्था नियम-कानून का सम्मान करनेवाले भद्रजनों के लिए है। आतंकवादियों को सामान्य कानून का लाभ नहीं देकर तत्काल ही गोले से मार दिया जाना चाहिए । देश के प्रख्यात गीतकार स्व। पं. नरेन्द्र शर्मा की बेटी लावण्या शाह, अमेरिका ने कहा है कि जब आदीवासी प्रजा पर अत्याचार होते हैँ तब वहाँ की दूसरी कौम चुप रहती है ? बस्तर के आदिवासियोँ की कोई मदद नहीँ करता ? ऐसा क्यूँ ? हिन्दी के चर्चित ब्लॉग लेखक जीत भार्गव ने माना है कि वामपंथियों ने हिन्दी, और हिन्दुस्तान का कबाडा किया है। वास्तविकता यह है कि भारत की अधोगति में इन प्रगतिशीलों को सुकून मिलता है। जनता के नरसंहार को यह जनवादी सही ठहराते हैं । युवा कवि राजीव रंजन प्रसाद ने लिखा है कि बस्तर और आदिवासी की समझ नहीं रखने वाले अपनी लफ्फाजियों से ही बाज आ जायें तो बडा परिवर्तन हो जायेगा। माओवादियों के समर्थक साहित्यकारों का बहिष्कार आवश्यक है। स्वीड़न निवासी रेडियो संचालक और कवि चांद शुक्ला ने माओवादी हिंसा की कटू आलोचना करते हुए इसे प्रजातंत्र के लिए ख़तरा बताया है । उन्होंने कहा है कि नक्सलवाद की समस्या मात्र छत्तीसगढ़ की समस्या नहीं अपितु समूचे भारत की समस्या है, जिससे निपटने के लिए सारे देशवासी को आगे आना पड़ेगा । कार्टूनिस्ट अजय सक्सेना, अजय श्रीवास्तव ने कहा है कि हिंसा पर उतारू नक्सलियों को सबक सिखाने का अंतिम समय आ चुका है, उनसे अब किसी प्रकार की बातचीत की संभावना क्षीण हो चुकी है ।

मदनवाड़ा नक्सली हिंसा की निंदा करने वालों में अन्य प्रमुख लेखक हैं – शिवकुमार मिश्र, खगेन्द्र ठाकुर, प्रभाकर श्रोत्रिय, गंगाप्रसाद बरसैंया, रमेश दवे, अशोक माहेश्वरी, ओम भारती, एकांत श्रीवास्तव, मुक्ता, रंजना अरगड़े, अरूण शीतांश, डॉ. बृजबाला सिंह, नंदकिशोर तिवारी, राजेन्द्र परदेसी, डॉ. नैना डेलीवाला, राजुरकर राज, नवल जायसवाल, सुशील त्रिवेदी, आनंद कृष्ण, संतोष रंजन, राम पटवा, जयप्रकाश मानस ।