दूर संवेदी तकनीक को भविष्य में अधिक कारगर बनाना होगा - विश्वरंजन

10 सितंबर 08

" देश की आंतरिक सुरक्षा विशेषकर नक्सल आपरेशन में दूर संवेदी उपकरण एक सहायक की तरह उपयोगी है । किन्तु आने वाले दिनों में नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतों से जुड़ी सुविधाओं के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था में सूचना तंत्र को अधिक कारगर बनाने के लिए दूर संवेदी उपकरण (रिमोट सेंसेसिंग अप्लीकेशन) को और अधिक उन्नत बनाया जाना चाहिए ताकि नदी, नाले, जंगल, पर्वत, खाई आदि दूर्गम भौगोलिक स्थलों की सार्थक और अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराने में उसकी व्यवहारिक उपयोगिता सिद्ध हो सके । " विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली और छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर के सहयोग से नागार्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय द्वारा "क्षेत्रीय योजना एवं प्रबंधन निर्धारण में दूर संवेदी उपकरण का उपयोग" विषय पर आयोजित 2 दिवसीय राष्टीय कार्यशाला के उद्घाटन करने के पश्चात अपने संबोधन में मुख्य अतिथि एवं छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन ने देश भर से आये वैज्ञानिक प्राध्यापकों से आग्रह किया कि बुनियादी विज्ञान को विकसित करना समय की माँग है । विज्ञान के बुनियादी तत्वों, रहस्यों और उद्देश्यों को आत्मसात किये बिना किसी भी इजाद या उपकरण में सिद्धि नहीं पायी जा सकती। उन्होंने विज्ञान से जुड़े सभी विषयों के अंतरसंबंध पर ज़ोर देते हुए कहा कि जब तक अंतरसंबंधित विज्ञान को विकसित नहीं किया जायेगा मानवता का चरम लक्ष्य नहीं पाया जा सकता है।
श्री विश्वरंजन ने आंध्रपदेश के लापता हेलिकाप्टर की तलाश के लिए चलाये जा रहे अभियान का प्रसंगवश जिक्र करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ का यह प्रयास विश्व का सबसे बड़ा अभियान है । हेलिकाप्टर लापता होने की समूचे विश्व में ऐसी कम से कम 100 घटनायें है जिन्हें विकसित और तकनीकी मामलों में उन्नत देशों ने भी 10-15 दिन की खोज के बाद बंद कर दिया किन्तु संसाधनों के मामलों में अल्प विकसित राज्य होने के बावजूद छत्तीसगढ़ में विगत कई दिनों से यह प्रयास जारी रहा है जिसमें पुलिस अपने सभी संसाधनों का उपयोग निरंतर करती रही है ।
पुलिस के सहयोग के लिए विज्ञान कालेज़ ने हाथ बढ़ाया
राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष ओंकार वैस ने पूर्व महाविद्यालयीन छात्र शहीद द्वय राजीव पांडेय, और भास्कर दीवान के बलिदान का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि विज्ञान महाविद्यालय राष्ट्रीय अस्मिता की सुरक्षा में सदैव आगे रहेगा । उन्होंने कहा कि विज्ञान महाविद्यालय नक्सली घटनाओं में मारे जाने वाले परिजनों के लिए 51 हज़ार रुपयों की सहायता राशि नक्सली पीडित राहत कोष में उपलब्ध करायेगा तथा नक्सली वारदातों में हताहत होने वाले परिवार के बच्चों की निःशुल्क उच्च शिक्षा की व्यवस्था भी महाविद्यालय में की जायेगी ।
महाविद्यालय के रक्षा अनुसंधान विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में वरिष्ठ वैज्ञानिक व मेपकॉस्ट, भोपाल के कार्यकारी निदेशक श्री रवि भारद्वाज ने दूर संवेदन उपकरण की कार्यपद्धति, विकास और उपयोगिता पर विस्तृत जानकारी दी । कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय परिवार की ओर से प्राचार्या गीता तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया । रक्षा विज्ञान विभाग के प्रमुख एवं कार्यशाला संयोजक श्री गिरीश पांडेय ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया । उक्त अवसर पर देश भर के प्रतिभागी वैज्ञानिक, प्राध्यापक, विषय विशेषज्ञ, शिक्षाविद्, बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।

कोई टिप्पणी नहीं: