200 अधिकारियों ने कागज को नोट में बदलना सीखा


रायपुर । 1 और 2 मार्च को पुलिस विभाग द्वारा संपन्न अंधश्रद्धा निर्मूलन कार्यशाला में राज्य भर के 200 से अधिक पुलिस उप अधीक्षकों, निरीक्षकों, हवलदारों, चिकित्सकों, वकीलों, विज्ञान शिक्षकों ने रंगकर्मियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नंगे पाँव दहकते अंगारों पर चलना सीखा । इसके अलावा इन सभी स्वयंसेवी मास्टर्स ट्रेनरों ने हवा में आग लगाने, नारियल से चावल, बाल आदि निकालने, कोरे कागज़ पर आकृति बनाने, गले से तलवार आर-पार करना, कागज़ को नोटों में तब्दील करना, किसी भी तस्वीर से भभूत निकालना आदि कई दर्जनों ऐसे हाथ सफाई और ट्रिक्स को प्रेक्टिकल कर सीखा जिसकी आड़ में ढ़ोंगी एवं शातिर बदमाश लोग सीधी-सादी जनता को ठग कर आर्थिक अपराधों को अंजाम देते हैं । ये प्रशिक्षक अब अपने-अपने जिलों के अनुविभाग, थाने और गाँवों के लिए कम से कम 20 हजार विशेष ट्रेनर्स प्रशिक्षित करेंगे जो ऐसे अपराधों पर रोकथाम के लिए प्रशिक्षित होंगे ।

छत्तीसगढ़ पुलिस की पहल का अनुकरण बिहार और महाराष्ट्र में भी
छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा शुरू किया गया सामाजिक, वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील चेतनामूलक अभियान देश भर में अनूठा है । यह देश के सभी राज्यों की पुलिस प्रशासन के लिए रोल मॉडल बनेगा । बिहार अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भंते बुद्धप्रकाश और देश भर में अंधविश्वास आधारित सामाजिक अपराधों के खिलाफ़ मुहिम चलाने वाली संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश चौबे ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा संचालित अभियान की कार्ययोजना को बिहार एवं महाराष्ट्र सरकार एवं पुलिस द्वारा लागू कराने का विश्वास जताया है । वे पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन की विशेष पहल से प्रारंभ किये गये अंधश्रद्धा आधारित अपराधों को हतोत्साहित करने के लिए संचालित अभियान की पहली कार्यशाला में सम्मिलित होने रायपुर आये थे। श्री चौबे ने छत्तीसगढ़ मॉडल की भूरि-भूरि प्रंशसा करते हुए इसे सभी राज्यों में लागू कराने के लिए स्वयं पहल की बात कही ।
पुलिस अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम बनेगा ।

पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन की खास पहल से विभाग द्वारा अंधविश्वास के कारण होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए संचालित सामाजिक अभियान को अब व्यापक रूप दिया जा रहा है । पूरे राज्य में अंधविश्वासों से मुक्त होकर वैज्ञानिक सोच के प्रसार के लिए सामाजिक सहभागिता का वातावरण बनाने की व्यापक रणनीति के अंतर्गत छत्तीसगढ़ पुलिस टोनही प्रताड़ना अधिनियम एवं औधषि और जादूई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम आदि कानूनों का कड़ाई से पालन कराने के लिए अब अपने विभाग के सभी फ़ील्ड अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विशेष तौर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जायेगा ।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) श्री गिरधारी नायक के मार्गनिर्देशन में पुलिस विभाग के सभी प्रशिक्षु पुलिस उप अधीक्षकों, सहायक उपनिरीक्षकों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके अलावा सभी जिलों में पुलिस प्रशिक्षण स्कूलों में भी नव नियुक्त आरक्षकों और हवलदारों को भी सेवाकालीन प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षित किया जायेगा ताकि वे सेवाकाल में बेझिझक अंधश्रद्धा से उत्पन्न अपराधों की रोकथाम कर सकें । इसके लिए सबसे पहले अंधश्रद्धा निर्मूलन एवं वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाले देश के विशेषज्ञों की सहायता से विभाग के लिए राज्य स्तरीय प्रशिक्षक तैयार किया जा रहा है जो विभाग में सभी स्तरों पर प्रशिक्षण देंगे । इसके लिए विशेष पाठ्यक्रम भी बनाया जा रहा है ।

प्रशिक्षु अधिकारियों को अंधश्रद्धा निर्मूलन कानूनों का प्रशिक्षण
पुलिस मुख्यालय द्वारा संचालित अभियान के अंतर्गत दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी चंदखुरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे 44 नव पुलिस उप अधीक्षकों और लगभग 300 सहायक उप निरीक्षकों को फ़ील्ड में पदस्थी से पूर्व ही अपराधों को प्रोत्साहित करने वाले अंधविश्वासों से लड़ने के लिए दक्ष बनाया जायेगा ताकि वे कानूनी प्रावधान यथा औषधि और जादू उपचार(आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम-1955,भारतीय दंड संहिता(धारा 420 एवं अन्य), छत्तीसगढ़ में विशेष तौर पर लागू टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम-2005 के पालन को सुनिश्चित कर सकें जिससे महिलाओं की सामाजिक प्रताड़ना, आर्थिक शोषण, ठगी आदि पर लगाम कसा जा सके ।

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