छत्तीसगढ़ पुलिस को अधिक कार्यक्षम बनाने संवेदनशील पहल


रायपुर। वे घर-परिवार छोड़कर दूर घने जंगलों में नक्सली पदचापों की टोह में रात-रात-भर जागते हैं । वे गर्मी-बरसात-जाड़े की परवाह किये बग़ैर कभी किसी निर्ज़न में पड़ी लाश की एकाकी रखवाली करते हैं तो कभी भूख-प्यास-नींद सबकुछ बिसार कर किसी गुंडे, मवाली को धर-दबोचने की जद्दोजहद में भटकते रहते हैं । जब सारी दुनिया मीठे-मीठे सपनों में खोयी रहती है तब भी वे बंदूक थामे गेट के बाहर व्हीआईपी की सुरक्षा में सारी रात मुस्तैद रहते हैं । वे लंबे समय तक घर से बाहर रहने वाला शारीरिक तनाव और मानसिक तनाव भी झेलते हैं । फिर भी वेतन और सुविधाओं के नाम पर कभी कोई हड़ताल नहीं कर सकते । धरना नहीं देते, डेलिगेशन लेकर किसी को माँगपत्र नहीं देते । छत्तीसगढ़ के ऐसे अराजपत्रित पुलिस कर्मियों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिए स्वयं पुलिस मुख्यालय ने संवेदनशील पहल शुरु की है ताकि वे और अधिक कार्यक्षम बनकर पुलिसिंग का जोखिम भरा काम संपन्न कर सकें ।

छत्तीसगढ़ के पुलिस निरीक्षकों, उप निरीक्षकों, सहायक उप निरीक्षकों, हवलदार, सिपाहियों सहित कार्यालयीन स्टाफ़ के वेलफेयर के लिए प्रभावी क़दम उठाये जाने और 5 वें वेतनमान की विसंगतियों को दूर करने की पहल इस बार स्वयं पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन ने की है । इसके पूर्व कई राज्यों के पुलिस विभाग में प्रचलित वेतनमान और सुविधाओं का व्यापक अध्ययन-विश्लेषण एवं परीक्षण श्री एम।के.नवानी, पुलिस महानिदेशक, सशत्र बल के मार्गनिर्देशन में पुलिस मुख्यालय के योजना एवं प्रबंध शाखा प्रमुख एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री रामनिवास व पुलिस उप महानिरीक्षक श्री जी.पी.सिंह द्वारा किया गया । परीक्षण में यह बात उभर कर सामने आयी है कि अन्य सभी राज्यों सहित पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश के अराजपत्रित पुलिस कर्मियों की अपेक्षाकृत छत्तीसगढ़ के अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को कम वेतन एवं आवश्यक सुविधायें प्राप्त हो रही है ।

24 राज्यों में छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य हैं जहाँ पुलिस निरीक्षक के लिए सबसे कम वेतनमान 5500-9000 प्रचलित है । जबकि अपने पुलिस निरीक्षकों को महाराष्ट्र सरकार 7450-11050, त्रिपुरा सरकार 7450-13000 व सिक्किम सरकार 7000-11500 का वेतनमान देती है । छत्तीसगढ़ से छोटे व कम साधनसंपन्न राज्य जैसे बिहार, , मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश की सरकारें सहित अन्य 15 राज्यों की सरकारें भी अपने पुलिस निरीक्षकों को 6500-10500 का वेतनमान देती हैं । राज्य के पुलिस मुख्यालय ने पुलिस निरीक्षकों के लिए 7400-1300 रुपए का वेतनमान प्रस्तावित किया है ।

इसी तरह छत्तीसगढ़ के सब-इंस्टपेक्टरों को भी अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, जम्मू काश्मीर, केरला, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, ओडिसा, सिक्किम, तमिलनाडू, उत्तरप्रदेश, अंडमान निकोबार, चंडीगढ़, दादर नगर हवेली, दिल्ली, पांडिचेरी और दिल्ली के पुलिस सब-इंस्पेक्टरों से कम वेतन मिलता है । छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ एसआई को 4500-7000 वेतनमान मिलता है जबकि देश के लगभग सभी राज्यों में 5500-9000 का वेतनमान लागू है । उधर महाराष्ट्र, मिजोरम, सिक्किम, चंडीगढ़, केरला, जम्मूकाश्मीर, हरियाणा आदि राज्य सरकारें अपने सहायक उपनिरीक्षकों को 4500 या 5000 से 8000 का वेतनमान देती हैं किन्तु छत्तीसगढ़ में उनके लिए मात्र 4000-6000 वाला वेतनमान स्वीकृत है। यही स्थिति हवलदारों और सिपाहियों की भी है जिन्हें छत्तीसगढ़ जैसे नक्सली प्रभावित राज्य होने के बावजूद भी क्रमशः 3500-5200 और 3050-4590 का वेतनमान दिया जाता है जबकि अन्य कई राज्य जो कम जोखिम और समस्याओं वाले है , उन्हें अधिक वेतनमान अर्थात् 4000-6090 या उसके आसपास का वेतनमान दे रहे हैं । पुलिस मुख्यालय के योजना एवं प्रबंध शाखा ने अराजपत्रित कर्मियों के प्रचलित वेतनमान के स्थान पर सूबेदार के लिए 6000-11500 रुपए, उप निरीक्षक के लिए 5500-9100 रुपए, सहायक उप निरीक्षक के लिए 5000-8000 रुपए, प्रधान आरक्षक के लिए 4300-5900 रुपए व आरक्षक के लिए 3200-6030 रुपए वाला वेतनमान प्रस्तावित किया है ।

मध्यप्रदेश में सीधी भर्ती और पदोन्नति से भरे जाने वाले 6500-10500 वेतनमान के पदधारियों को राजपत्रित अधिकारी भी बनाया जा चुका है और वहाँ निरीक्षकों और उपनिरीक्षकों को 1 सितम्बर2007 से उन्नत वेतनमान भी दिया जा रहा है ।

पुलिस रेग्यूलेशन 292 के अनुसार पुलिस विभाग के समस्त अराजपत्रित अधिकारियों और कर्मचारियों को निःशुल्क आवास दिये जाने के प्रावधान को ध्यान में रखते हुए चरणवार आवास गृहों के लिए बजट आबंटन की पहल की जा रही है । वर्तमान मकान किराया भत्ता (मूलवेतन का मात्र 10 प्रतिशत) को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की अनुशंसा भी की गई है ।

इसी तरह वर्तमान किट मेंटेनेंस अलाउंस के रूप में 20 से 60 रुपए प्रतिमाह को बढ़ाकर 200 से 500 रुपए, थानों में पदस्थ प्रधान आरक्षक व आरक्षक के फिक्स मासिक यात्रा भत्ता 25-30 रुपए को बढ़ाकर कर क्रमशः 250 एवं 300 रुपये किये जाने, नगर क्षतिपूर्ति भत्ता को 75 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए प्रतिमाह करने, विशेष पुलिस भत्ता 18 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए करने, रायफल भत्ता 30 रुपए को बढ़ाकर 200 रुपए करने, विशेष शाखा एवं दूरसंचार शाखा का विशेष वेतन जो वर्तमान में 15 रुपए से 175 है को बढ़ाकर 75 रुपए से 400 रुपए किये जाने, अराजपत्रित अधिकारियों को नियुक्ति से समय एक बार दिये जाने वाले वर्दी अनुदान को 400 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए किये जाने, तीन वर्ष में एक बार वर्दी नवीनीकरण राशि 250 रुपए से 1500 किये जाने, प्रतिमाह सचिवालय के समकक्ष पीएचक्यू एलाउंस दिये जाने, कैशबुक संधारण करने वाले कैशियर का विशेष भत्ता 50 रुपए से 250 रुपए किये जाने, निरीक्षक से आरक्षक स्तर तक प्रतिमाह दिये जाने वाला पौष्टिक आहार भत्ता को 100 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए किये जाने की पहल भी योजना कक्ष द्वारा की जा रही है । इसी तरह राजपत्रित अधिकारियों से ज़ुड़े वर्दी नवीनीकरण, वर्दी अनुदान, ग्रुप इंश्योरेंस में कटोत्रा आदि के लिए भी आवश्यक संस्तुति की गई है ।

पुलिस की कार्यक्षमता में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पुलिस मुख्यालय द्वारा अराजपत्रित कर्मचारियों के वेतन-भत्ते को बढ़ाने के साथ-साथ अन्य कल्याणकारी गतिविधियों की आवश्यकताओं पर भी जोर जा रहा है । इसमें सभी जिलों में सामुदायिक भवन निर्माण, पुलिस कर्मियों के शिक्षारत बच्चों के लिए 14 होस्टलों, पुलिस लाईनों एवं बटालियनों के लिए 36 सुलभ शौचालयों, रायपुर जिले के अतिरिक्त शेष जिलों में 30 बिस्तरों वाले 19 पुलिस अस्पतालों के निर्माण आदि की भी आवश्यक पहल शुरु हो चुकी है ।

1 टिप्पणी:

उमेश कुमार ने कहा…

बधाई हो आपको!

आपका ब्लाग देखा तो लगा की छ.ग.पुलिस भी जुबान रखती है।अच्छा किया जो आपने अपनी बात उन ब्लागरो तक पहुंचाया जो छ.ग.मे रहकर भी अमरीकियो जैसे ही नक्सलवाद से अन्जान है।

साथ ही यह भी अच्छा हुआ की वेबसाईट जैसी जानकारी से अनजान पुलिस ब्लाग तो बनाई है। आप मध्य प्रदेश पुलिस की वेबसाईट विजिट करें।