सिंगावरम मुठभेड़ को फर्जी बताना साई वार का हिस्सा – राहुल शर्मा

दुष्प्रचार व चालाकी नक्सली का हथियार
सलवा जुडूम और एसपीओ को बदनाम करने का सुनियोजित षडयंत्र
दंतेवाड़ा । दंतेवाड़ा जिले के सिंगावरम में हुई घटना पूरी तरह से पुलिस-नक्सली मुठभेड़ ही है । इस पर उठाये गये प्रश्न बेबुनियाद है जो नक्सलियों के प्रचार तंत्र के सुनियोजित तरीके का हिस्सा है । नक्सली इसके पूर्व भी इसी तरह का आरोप लगाकर पुलिस के हर जायज और कानूनी कार्यवाही को कटघरे में खड़े करते रहे हैं । यह सुनियोजित साई-वार है जो नक्सली रणनीति और प्रबंधन का अहम् हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मात्र प्रजातांत्रिक व्यवस्था सहित पुलिस की कार्यप्रणाली को जनविरोधी करार देकर जनमत को बरगलाते रहना है । विगत 8 जनवरी को सिंगावरम मुठभेड़ के संदर्भ में कुछ नक्सली हितैषियों द्वारा दुष्प्रचारित कहानी के पीछे नक्सलियों, उनके समर्थकों और उनसे जुड़ी संस्थाओं की प्रमुख भूमिका है । लगभग हर सफल एनकांउटर घटनाओं से नक्सलियो का मनोबल गिरता है और उनके रिक्रुटमेंट ड्राइव की सुनियोजित कार्यवाही भी दुष्प्रभावित होती है ।

पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा श्री राहुल शर्मा ने सिंगावरम् की घटना को लेकर दुष्प्रचार करने वालों को नक्सलियों की चाल बताते हुए कहा है कि सिंगावरम के मुठभेड़ पुलिस-नक्सली मुठभेड़ थी । यह कहना पूर्णतः झूठ है कि वहाँ पुलिस ने ग्रामीणों की मारा है । ऐसा कहना सलवा जुडूम और एसपीओ को बदनाम करना है । क्योंकि नक्सली यह बखूबी जानते हैं कि धूर और घोर नक्सली क्षेत्रों में एसपीओ नक्सली गतिविधियों का पथ प्रदर्शन करते हैं । जो ग्रामीण नक्सलियों के भय और आतंक से ग्रस्त होकर उनके हाथों की कठपुतली बनने को बाध्य है क्या वे फिर से उनके भय और दबाब मे क्योंकर नहीं कह सकते कि वहाँ ग्रामीण मारे गये हैं ।

इस मुठभेड़ में जिसमें नक्सलियों की मिलिट्री-प्लाटून एवं जन-मिलिशिया के 50-60 नक्सलियों के साथ जिला पुलिस बल एवं एसपीओं के जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए मुकाबला किया । उस दिन सिंगावरम में नक्सली एवं जन-मिलिशिया द्वारा आगामी 26 जनवरी को काला दिवस मनाने की रणनीति तय करने के लिए बैठक आयोजित थी, जिसे पुलिस द्वारा ध्वस्त करते हुए नक्सली-षड़यंत्र को विफल कर दिया गया था । घटना स्थल की सर्चिंग पर अंधेरे के बाद भी 15 नक्सलियों के मृत शरीर की गणना की गई थी । उन सभी नक्सलियो के फोटोग्राफ़ भी लिये गये थे । यह एक तरह से विगत 2-3 वर्षों की सबसे बड़ी पुलिस रिकव्हरी है, जिसमे भारी मात्रा में गोला बारूद तथा अन्य सामग्रियों की बरामदगी हुई थी । इसका कारण नक्सली रणनीति मे हार्ड कोर यानी मिलिट्री दलम के मुख्य नक्सली हमेशा जनमिलिशिया के दो घेरों के बीच चलते हैं । अतः इन्हीं के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई, किसी भी घटना में सबसे पहले जन-मिलिशिया कैडर होता है एवं उनके पीछे हार्ड कोर नक्सली अर्थात् मिलिट्री प्लाटून होती है जो तात्कालिक एवं आकस्मिक परिस्थितियों के अनुसार मोर्चा लेकर मुकाबला करने अथवा वहाँ से पीछे हटने का फैसला करती है । सिंगावरम् में भी यही हुआ और डेढ़ से दो घंटे की मुठभेड़ के बाद रणनीतिक आदत के अनुसार मिलिट्री प्लाटून पीछे हट गई । यह दीगर बात है कि पुलिस द्वारा अत्याधुनिक रायफ़लें बरामद नहीं की जा सकी थी । न ही उसी समय लाशों को कब्जे में लेकर थाना नहीं लाया जा सका था । ऐसा तत्कालीन परिस्थितियों में संभव नहीं था क्योंकि 15 शवों को लाने के लिए कम से कम 60 पुलिस कर्मियों की आवश्यकता होती । इसके अलावा यह टीम लगातार मुठभेड़ के कारण बेहद थकी हुई भी ती । उस समय 12 एसपीओ घायल अवस्था में थे जिन्हें सुरक्षित अस्पताल पहुँचाने कहीं ज़्यादा ज़रूरी था ।

यहाँ यह भी काबिलेगौर है कि आम तौर पर जन मिलिशिया कैडर के पास टंगिया, तीर-धनुष तथा सुअर बम से लेकर भरमार हथियार होते हैं जिसकी पुलिस द्वारा रिकव्हरी की गई है । मुठभेड़ में मिलिट्री-प्लाटून की मौजूदगी इस बात से प्रमाणित होती है कि ऐन मौके पर 5 हैंड ग्रिनेड़, 6 किली जिलेटिन एवं बम बनाने में उपयोग लायी जाने वाली सामग्रियों के साथ 10 नग पिट्ठू, 2 देशी टू इंट मोर्टार बरामद हुए हैं । यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि विगत 2007 के दिसम्बर माह में थाना गोलापल्ली से मात्र 4 किमी की दूरी पर 12 जवान बीमार पुलिस साथियों को ले जाने के दौरान नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गये थे, जिनके मृत शरीर को घटना स्थल से निकालने में पुलिस को पूरे 48 घंटे मशक्कत करनी पड़ी थी । यह घटना स्थल भी थाने से जंगली रास्तों से तकरीबन 15 किमी की दूरी पर है, जो अत्यंत ही धुर नक्सली संवेदनशील क्षेत्र है।

मुठभेड़ समाप्त होने पर शाम हो चुकी थी । उस क्षेत्र में पिछले 48 घंटे से ऑपरेशन पर गई पुलिस पार्टी बुरी तरह थक चुकी थी, अतः घटना स्थल पर मौजूद पुलिस कमांडर ने मुठभेड़ मे घायल 3 जवानों, एसपीओ जिनमें से 2 जवानों के पैर को छूती हुई गोली निकली थी एवं 1 जवान के हाथ के पास ग्रिनेड़ फटने से घायल हुआ था, को प्राथमिक उपचार हेतु निकालना ज्यादा उचित समझा तथा घटना स्थल की सर्चिंग कर बरामद साम्रगी को एकत्रित कर पुलिस बल को शाम 6.30 बजे तक सुरक्षित थाना गोलापल्ली पहुँचाया । घायल जवानों को दंतेवाड़ा से प्राथमिक उपचार पश्चात सुकमा सीएससी में भर्ती कराया गया है, ताकि उनके परिजन उनकी अच्छी तरह देखरेख कर सकें ।

पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा ने आगे कहा कि अगले दिन हेलीकॉप्टर से 3 जवानों को निकाला गया तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा घटना स्थल पहुँचकर घटनाक्रम का ज़ायज़ा लिया गया और बॉड़ी रिकव्हर करने के लिए अधिक फोर्स के साथ पुलिस पार्टी को रवाना किया गया । इसी बीच आंध्रप्रदेश से पत्रकारों का दल प्रातः घटना स्थल पहुँचकर ग्रामीणों से बातचीत करने तथा मृतकें के फोटोग्राफ्स लेने के बाद वहाँ से बिना पुलिस ताने आए वापस लौट गये । वहाँ पर मौजूद ग्रामीणों द्वारा शव को पुलिस पार्टी के पहुँचने के पूर्व ही अपने-अपने गाँव ले गये । इसके बाद दंतेवाड़ा से एक्सीक्यूटिव मजिस्ट्रेट तथा डॉक्टरों का दल भेजा गया जिनके द्वारा 11 नवंबर को घटना स्थल पर जाकर दफनाये गये शवों कको निकालने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें 1 शव को निकालने की कार्यवाही की गई था डॉक्टर द्वारा गन शॉट से मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है ।

इतनी ही नहीं, पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा ने स्वयं घटना की संवेदनशीलता को भाँपते हुए स्वयं कलेक्टर से मजिस्ट्रियल जाँच कराने का भी आग्रह किया है जिस पर कार्यवाही शुरू की जा रही है जिससे वास्तविकता तथ्यों सहित सबके सामने आ सके ।

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