छत्तीसगढ़ में सुरक्षा की नई मुहिम - कमांडो की उपस्थिति

कमांडो वाला पहला राज्य बना छत्तीसगढ़

हमारा देश हमेशा से विविधता में एकता और शांति के सिद्धांतों को मानता आया है । वसुधैव कुटुम्बकम् हमारे संस्कारों, साँसों, रगों में बहुत अंदर तक बैठा हुआ है । परन्तु आज़ादी के बाद से ही देश के कुछ हिस्सों में आंतक का सहारा लाया जाता रहा है । हम ख़ुद इस प्रदेश में नक्सलवाद के घिनौने स्वरूप से रोज़ टकरा रहे हैं - नक्सलवाद से लोहा लेने के लिये, नक्सली आंतक को ध्वस्त करने के लिए । हमने CTJW COLLEGE का कांकेर में गठन किया है जहाँ हमारे जवान जंगल वारफ़ेयर मे निपुणता हासिल कर रहे हैं । हमने स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) का गठन किया है जो नक्सली अभियानों में अग्रिम दस्ते के रूप में काम करेगी ।

पिछले कई सालों से देश के बाहर बसी ताक़तों ने हमारे देश में आंतक का घृणित नज़ारा पेश करने की भी शुरूआत की है जिससे निपटने के लिए विशेष तैयारियों की ज़रूरत है । आज जब हमारा देश, विश्व की महाशक्तियों तथा अन्य विकसित देशों के साथ अग्रणी पंक्ति में बैठने को अग्रसर है वहीं हमारे पास-पड़ौस के देशों से प्रायोजित या संचालित आतंकवाद हमारे शहरों में पाँव पसार रहा है । मुंबई में हाल में हुआ आंतकी और खूनी होली ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है ।

मुंबई की घटना के तुरंत बाद ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री मा। रमनसिंह ने मन बनाया कि छत्तीसगढ़ पुलिस में भी एनएसजी के तर्ज़ पर प्रशिक्षित कमांडो फ़ोर्स होनी चाहिये । छत्तीसगढ़ पुलिस ने मुख्यमंत्री की चाहत के अनुरूप सीएएफ की तीसरी बटालियन को कमांडो बटालियन में संबर्धित करने का निश्चय किया । ऐसा इसलिए किया गया कि एक बिलकुल नई बटालियन को खड़ा करने, प्रशिक्षित करने में समय लगता ।

कमांडो की बुनियादी प्रशिक्षण भी हम यहीं देगें । एडवांस ट्रेनिंग हम एनएसजी, स्पेशल फ़ोर्स, बीएसएफ, आईटीबीएफ़ आदि के साथ करायेंगे । इस बुनियादी प्रशिक्षण मे भाग लेने वाला पहला समूह अमलेश्वर, दूर्ग में आपके सामने है, जिसकी ट्रेनिंग आज 10 जनवरी, 2009 को महामहिम के करकमलों से उद्-घाटन के साथ ही शुरू हो जायेगी । 90 दिन के प्रशिक्षण के बाद कमांडों और 40 दिन का पाठ्यक्रम CTJW (जगंलवार कॉलेज), कांकेर मे कराया जायेगा । हम एक साल में 600-700 कमांडो तैयार करने में पूर्ण सक्षम है ।

एक कमांडो की विशेषता क्या है ? शारीरिक दृष्टि से वह क़रीब-क़रीब सुपर मैन होता है । उसमें शारीरिक तथा मानसिक लचीलापन उच्च कोटि का होता है । वह गंभीर तनाव और स्टैस पर भी मानसिक तथा शारीरिक संतुलन नहीं खोता है । वह precision और घातक फ़ायरिंग कर सकता है । उसमें अपनी क्षमता के बारे मे उच्च कोटि का आत्मविश्वास होता है । हमारे पास कुछ ट्रेनर हैं जो इस तरह का प्रशिक्षण दे सकते हैं । कुछ और प्रशिक्षकों को हम एनएसजी, आटीबीपी, बीसीएफ़, स्पेशल फ़ोर्स में भेज कर प्रशिक्षित और दक्ष करायेंगे । इस कमांडो फ़ोर्स के गठन और प्रशिक्षण की गतिविधियों को मैंने अपने प्रत्य़क्ष सुपरविज़न में रखने का निर्णय लिया है ।

इस बटालियन की बल संख्या 1388 रहेगी । इसमें 2 उप सेनानी, 9 सहायक सेनानी, 15 कंपनी कमांडर, 50 प्लाटून कमांडर, 100 प्रधान आरक्षक एवं 300 आरक्षकों की अतिरिक्त होगी जिसके लिये शासन के पास स्वीकृति हेतु जा रहे हैं । उच्च स्तरीय अस्त्र-शस्त्र और उपकरण की भी हम फेहरित बना रहे हैं और उन्हें ख़रीदने की भी हम पहल कर रहे हैं । कुछ ही महानों में, हम आप एक जांबाज कमाडों की टुकड़ी आपके सामने पेश करेंगे जो किसी भी आंतकी हमले मे कारगर हस्तक्षेप कर उसे रोकने, पस्त और ध्वस्त करने मे सक्षम होगा ।
० विश्वरंजन
पुलिस महानिदेशक

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